धरती/ #पृथ्वी
धरती धीरज खो रही ,तड़प रहा भगवान
बेरंग छाती हो रही, उचित नहीं अभिमान ।।
करती तांडव नीर से, लें अग्नि तीर कमान
टूट रही शाखाएं भी , ना पात का निशान ।।
उग्र रूप न धारण कर ले,बेबस धरा महान
सीख लें सत्कार इनका,मिलेगा जीवन दान ।।
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सुनीता जौहरी
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
@© स्वरचित व मौलिक
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