Sunita Jauhari : Welcome to my blog !! सुनीता जौहरी : सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं

नि: शुल्क राष्ट्रीय प्रतियोगिता

Post a Comment

26 Comments

वीर रस आधारित सृजन
आल्हा छंद 16,15 चरणांत गुरु लघु
विषय :- स्वतंत्रता दिवस

कूद पड़ा जो महा समर में, अरिदल में आया भूचाल
वीर भगत सिंह केहरी बन, करता था बैरी का काल।।

दूर किया जन मानस का भय
साहस करता रिपु संहार
डरकर यूं बैठो मत घर में
कर में अपने चूड़ी डार।।

रस्सी के धोखे मत पकड़ो, गौर वर्ण ये जिंदा व्याल
वीर भगत सिंह केहरी बन, करता था बैरी का काल।।

लाला जी ने मार्च निकाला
जनता में फैला यलगार
साइमन देश से हो बाहर
जनमानस की यही पुकार।।

लाठी चार्ज किया गौरों ने, मार दिया भारत का लाल
वीर भगत सिंह केहरी बन, करता था बैरी का काल।।

एक मास के बाद भगत ने
लिया रूप प्रचंड था धार
सभा मध्य गोले बसराकर
बोली भारत की जयकार।।

इंकलाब के नारे सुनकर, गौरों का बिगड़ा था हाल
वीर भगत सिंह केहरी बन, करता था बैरी का काल।।

स्वरचित
योगी रमेश कुमार 'ओजस्वी'
जयपुर, राजस्थान
दूरभाष 9672240017
ई मेल yogiraj0017@gmail.com
Jyoti sahu said…
नमन मंच
#विषय :- स्वतंत्रता दिवस
#विधा - कविता
#दिनांक: 18/07/2024
#instagram I'd : jyoti_sahu1320

केसरिया: साहस और बलिदान का प्रतीक🇮🇳

केसरिया केवल रंग नहीं,
हर-एक इंसान के साहस का प्रतीक है।
लड़ रहे जो सीमा पर,
पड़ रहे छाले पैरों पर,
फिर भी डट कर खड़े है वो,
हिम्मत से लड़ रहे हैं वो।

बेड़ियों को तोड़ स्वतंत्रता कि सबने ठानी है,
फिर बढ़ती हुई इस भूख ने ज्वाला धारण कि है।
तड़प रहें थे जो दाने-दाने को उनकी ताकत ना जानी है,
ना समझ पाएं फिरंगी तैयार कर रहे वो खुद खंजर को।

हंसते हंसते चढ़ गए फांसी पर सुखदेव राजगुरु भगत,
अंतिम सांस तक लड़ती रही वो मनु झांसी की रानी।

एक मां से पूछो कैसे भेजा होगा ज़िगर के टुकड़े को,
ना जाने कब कौन सी मुलाकात आख़री होगी बेटे से।
उस पत्नी पर क्या बीती होगी
जिसके कलीरे भी ना छूटे होंगे।
उस बहन की तड़प ना पूछो
जो एक झलक को तरसती होगी

स्वतंत्रता केवल एक से नही,
हर इंसान की भागीदारी का परिणाम है।
केसरिया केवल रंग नहीं
रक्त कि एक एक बूंद की पहचान हैं।
Naresh Uniyal said…
सादर नमन आदरणीय मंच
काशी साहित्यिक संस्थान
ब्लॉग आधारित काव्य प्रतियोगिता
#स्वतंत्रता दिवस





"भारत प्यारा, देश हमारा"

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, दिल ने आज पुकारा है,
मेरा भारत श्रेष्ठ ये भारत, जन-जन को यह प्यारा है।
है जो सबसे श्रेष्ठ जगत में, सारे जग से न्यारा है
सब देशों में श्रेष्ठ ये भारत, देश हमारा प्यारा है।


सिर पर पर्वतराज हिमालय, रजत मुकुट सा सजता है
चरणों में नित सिंधु झूमता, इसके चरण पखरता है,
देश मेरा हर भारतवासी की, आंखों का तारा है,
सब देशों में श्रेष्ठ ये भारत, देश हमारा प्यारा है।


गंगा ,यमुना, सिंधु ,सरस्वति, पावन नदियां बहती हैं,
इनके पावन जल से सिंचित फसलें मधुर खनकती हैं,
दूध, दही , नवनीत की यहीं, बहती पावन धारा है,
सब देशों में श्रेष्ठ ये भारत, देश हमारा प्यारा है।


यहां पर मंदिर है, मस्जिद है ,गुरुद्वारे भी सजते हैं,
यहीं बौद्ध मठ, हैं गिरजाघर, सब को प्यारे लगते हैं,
अजान, आरती और सबद से, गूंजा गगन भी सारा है,
सब देशों में श्रेष्ठ ये भारत, देश हमारा प्यारा है।


कृष्ण, बूद्घ और महावीर ने, इसी धरा पर जन्म लिया,
राधा, सीता और मीरा ने, पावन इस धरती को किया,
सती अहिल्या को चरणों से, श्रीराम ने तारा है,
सब देशों में श्रेष्ठ ये भारत, देश हमारा प्यारा है।


हे ईश्वर! गर इस धरती पर, कभी जनम हो फिर मेरा,
यह पावन भारत की धरती, सदा हो क्रीडांगन मेरा,
'नरेश' भारत मां की जय का, सदा तेरा जयकारा है,
सब देशों में श्रेष्ठ ये भारत, देश हमारा प्यारा है।

✍️ नरेश चन्द्र उनियाल,
पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।

पूर्णतः मौलिक,स्वरचित ,अप्रकाशित एवम् अप्रसारित रचना।
✍️ नरेश चन्द्र उनियाल।

Anshula Garg said…
नमन उन वीर शहीदों को
नमन उनकी वीर शहादत को
जिन्होंने मां भारती के नाम
अपना सर्वस्व बलिदान किया
नमन उन वीर सपूतों को
नमन उनकी शूरवीर्ता को
जिन्होंने मां भारती के नाम
खुद को समर्पित किया
नमन उन क्रांतिकारियों को
नमन उनकी क्रांति को
जिन्होंने मां भारती के नाम
अपना सर्वस्व त्याग दिया
नमन उन माताओं को
नमन उनकी ममता को
जिन्होंने मां भारती के
उन वीर सपूतों को
जन्म दे देश के नाम किया
नमन उस मातृ भूमि को
नमन उस भूमी की मिट्टी को
जिसमें ऐसे वीर जवानों ने जन्म लिया
और दुश्मनों को छक्के छुड़ा दिए
नमन है वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को
जिन्होंने इंकलाब का नारा लगा
अंग्रेजों को धूल चटा
देश की खातिर
हंसते हंसते फांसी की फंदे की चूम लिया ।
जय हिन्द, जय भारत। भारत माता की जय।।🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳

-Dr. Anshula Garg
9416826885
anshu.anshula.garg@gmail.com
सभी यहां रचना प्रेषित करें
दिनांक:-२०/०२/२०२४
दिन:-मंगलवार समय:-११:५४ पूर्वाह्न

कविता
(ऋतुराज सीख)

विसाल धरा नभ के नीचे,
मैं बैठा दुर्वा के बीचे|
एक वात सब डाली चूमा,
खेत मटर फली है झूमा||१||

सु पादप नव पल्लव चमके,
भानु किरण में ऐसे दमके|
जैसे कुछ संदेश हैं देते,
मानव तू हमसे कुछ सीखे||२||

पतझड़ बाद ये दिन है आया,
दुख से गुजरा तो सुख पाया|
सुख-दुख दो जीवन की राहें,
ये दोनो को सब कोई पाये||३||

सुगुल ने हँसकर फिर बोला,
यह सुमुँह भानु ने खोला|
तुम्हें जहाँ से मिलती शक्ति,
तुम करना उसकी ही भक्ति||४||

वात के झोके मुझे जगाते,
मेरे मन को ये महकाते|
वात कोई और नहीं है,
प्रभु के देव दूत यही है||५||

तुमको जो कभी कोई जगाये,
समझो देव दूत बन आये|
जीवन सद्गुणो से सजाये,
चारो तरफ सुगंध फिर जाये||६||

रचनाकार पं० लवकेश तिवारी कुशभवनपुरी|

15अगस्त स्वतंत्रता दिवस ब्लॉग आधारित काव्य प्रतियोगिता हेतु प्रवेष्टी

प्रस्तुत कविता में तिरंगे की आत्मवेदना को वर्णित किया गया है ।

तिरंगा

- डॉ.बंसीलाल हेमलाल गाडीलोहार

स्व-तंत्र में पंद्रह अगस्त की मंगल पावन बेला पर ,
जीर्ण-शीर्ण होता तिरंगा लहराता ध्वज स्तंभ पर |

रोता-सिसकता, डगमगाता अपने अडिग स्थान से ,
देख शहादत के प्रतिदिन होते कलंकित अवमानों से

स्वयं अंतर्मुख होता दिनभर भरभराता-फड़फड़ाता रहा ,
बना अंजाना, स्वयं को स्वयं में खोजता-तलाशता रहा |

न जाने क्या और कैसे सब यह होता रहा ?
अपना तमाशा बन खुद तमाशबीन बना रहा |

होकर एक, फिर भी क्यों न हो पाई एक ,
एकता का पाठ पढ़ाती कैसे हो गई अनेक ?

तीनों पट्टियों ने आप धारण कर लिया कैसे मौन ,
फिर संवाद-विसंवाद करे क्यों,किससे भला कौन ?

अनबन कैसी ? बात ऐसी अचानक कौन-क्या आ गई ?
एक-दूजे के जहन में विषैली-सी अनमन-अनगन छा गई |

केसरिया ने अपनी महिमा-गरिमा की मर्यादा तोड़ी ,
आप ही आवेश में आकर अंततः मन की बात यूँ छेड़ी |

त्याग-बलिदान की दिव्य भव्य-प्रतिमा हुई मलिन ,
बस, मैं ही मैं हूँ ! कहने लगा आप ही आप कुलीन |

हिंद के कर्मकांडियों से ही हो कैसे गया स्वयं मिलन ?
अन्यों से होती रही क्यों मन ही मन में तीव्र जलन ?

यह देख शुभ्रश्वेत ने भी तभी अपनी श्यामल सफेदी छोड़ी ,
आप ही अंत:करण में मिशनरियों की चादर सफेद ओढ़ी |

अपनी पाक-पवित्रता छोड़कर स्वयं हो गई अशुभ्र ,
अमन-शांति को तिलांजलि दे क्यों बैठी कुअभ्र,

हरी भी बीच में ही,ऐसी हरी-भरी-सी हुई ,
क्यों अकस्मात समृद्धता-संपन्नता में दरार छा गई ?

चाँद को सजदे-सलाम-कबूल करती दोहरी हुई ,
अचानक मरने-मारने औ जिहाद पर उतारू कैसे हो गई ?

बस! यह उफ़ान-तूफ़ान तिरंगे में अभी खड़ा ही हुआ ,
फिर धम्म के पहिए ने भी अपना चक्कर चक्रवात भी ढोंया |

कीर्ति भूल अशोक से शोक करता आप ही बड़बड़ाया ,
गति-प्रगति के अपने नित्य कर्म छोड़ आप ही गुरगुराया |

बस! अब ना जाऊँ मैं सुबुद्ध-प्रबुद्धगण के शरण में ,
बस अब तो जाऊँ मैं अहिंसा से हिंसा के चरण में |

देखा यह भयावह अपना रंग-रूप तिरंगा रोता रहा ,
अब ध्वज स्तंभ पर फड़फड़ता विभक्त होता काँपता रहा ।

थे चारों एक, पर एक से हुए अनेक, जानकर भी अनजाने बने ,
हर कोई हँसता रहा अपने दंभ में एक-दूसरे पर अपनी भौहें तने |

काँपता,शंकित होता अपने भूत से भविष्य की ओर कातरता से देखता रहा ,
अपने-अपनों के बुनें धर्मांधता के जंजाल में स्वयं ही कैसे फसता-धसता रहा ?

अपने अतित के गौरव को याद बार-बार करता,कराहता रहा ,
अपने ही अखंडता के कर्म-धर्म को याद करता,छटपटाता रहा |

अब ना मैं स्वतंत्रता का,जन-गण का प्रतीक रहा ,
देख स्वतंत्रता के बदले-बदलते अर्थ पर चकित रहा |

इधर भारत स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में तिरंगा महिमामंडित होता रहा ,
उधर अपने ही रंगों के स्व-तंत्र से तिरंगा बेरंग हो खंडविखंडित होता रहा |

Dr. Bansilal Gadilohar, Nashik
9370513807

१५ अगस्त स्वतंत्रता दिवस

आज़ाद हुवा आज के दिन देश हमारा,
इसलिए १५ अगस्त हैं मुझे प्यारा,
इसी दिन 200 साल के ब्रिटिश कोलोनियल को हराया
ब्रिटिश शासन से आजाद कराया।

इसी दिन, 1947 में, अत्याचारी से झूँझे भारत के सेनानी,
ब्रिटिश शासन के चंगुल से दिलाई आज़ादी।
हर साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस है हम मनाते,
लोकतंत्र और स्वतंत्रता के इस उत्सव को पूरे तन मन से हैं मनाते।

याद करे उन जवान, उन सेनानियोंकों,
आओ पूरा देश मिलकर एक साथ मनाये स्वतंत्रता दिवस,
सभी देशवासी देशप्रेम में हो जाये भाव विभोर।

हर प्रमुख शहर और गाँव में मनाते इस उत्सव को,
सांस्कृतिक कार्यक्रमोंसे सजाए धरोहर को,
सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी तथा निजी संगठन,और अन्य संस्थान तिरंगा फहराकर मनाते गाकर राष्ट्रगान,
सभी नमी और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को याद कराते,
जागरण जोश से मनाते इस उत्सव को,
मधुर और दिल को छू लेने वाले गीत गाते मनाते स्वतंत्रता दिवस।

सौ विशाखा नरसिंह साने
पणजी गोवा
Dr vandana mishra said…
मुस्कान हैं हम लोग
÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷

जिंदगी की मुस्कान है हम लोग,
ए बहार ए जहान है हम लोग।।

चमन ए गुलिस्ता खिल उठा जहाँ,
गुलशने गुल के कद्रदान हैं हम लोग।।

तोहफा दे रहे देश को खास है वो,
सच मानिए देश की जान है हम लोग।।

खोलते संभावनाओं के नित नए द्वार?
भारतीय प्रगति का गुमान हैं हम लोग।।

देश की परम्पराएँ भी हैं महान,
परम्पराओं का वितान हैं हम लोग।।

भारत का विधान हैं हम लोग,
ये जग है और जहान हैं हम लोग।।

चाहतों के मुदित मकानों के भी
मुख्य पायदान भी हैं हम लोग।।

सदियों से खोजते आ रहे जिसे,
संस्कृति की पहचान हैं हम लोग।।

रूप और रंग का अरमान भी हैं,
चेहरे की मुस्कान हैं हम लोग।।

तुम्हें कोई गम न सताए कभी,
जमीं के आसमान हैं हम लोग।।

हथेली पर जान लेकर चलते हैं
सच ऐसे नौजवान हैं हम लोग।।

हर जगह परचम लहराए भारत ने
ऐसे विवेकवान हैं हम लोग।।

हमको कमतर न समझिए कभी
गीता हैं कुरआन भी हम लोग।।
डॉ वंदना मिश्रा
शिक्षाविद एवं साहित्यकार भोपाल
वंदना घनश्याला said…
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन* आते ही हलचल सी हो जाती है
भाई बहनों की यादें तरो ताजा हो जाती हैं
मानो दुनिया ही रंग बिरंगी हो जाती है
पहले से ही सजना धजना, ख़रीदारी,

प्यारी तकरार.. सब शुरू हो जाती है
बुआ की प्रतीक्षा बच्चे हर पल करते हैं..
और तो और चुपचाप से टेक्स्ट भी करते हैं..
“बुआ... इस बार वो वाली मिठाई
मेरे लिए और भाई के लिए लाना”

😂 वो.. वा.. ली …..बुआ भी,
लाखों सपने संजोए ... आती हैं
चुपचाप से कान में बुद- -बुदाएंगी 😃
इतना ही नहीं इशारे से बता जाएंगी ❤
बच्चों संग बच्ची बन जाएंगी
मानो अपने इस (राखी पर) बचपन में लौट जाएँगी
भाई भाभी का आँगन भावनाओं से भर जाती हैं

रक्षा बंधन* आते ही हलचल सी हो जाती है l
भाई बहनों की यादें तरो ताजा हो जाती हैं
भाई रक्षा करने को रहते आतुर हर दम
माना वो भी घऱ की जिम्मेदारी में ढल जाते हैं
यह हरगिज़ नहीं कि वो भूल जाते हैं
भाई -बहनों संग बिताए बचपन को याद कर
सबकी आँखें नम हो जाती हैं
वो पुराने खेल.. मस्ती और लड़ना झगड़ना,
दूजे की थाली में झाँकना, चुराना और बहस करना
सब नजरों से अश्रु बन ढ़लक जाते हैं
क्या हुआ त्योहारों पर ही हम याद आते हैं
कहीं दूर बैठी बहन हो परेशान
तो इक फ़ोन तो करो तुम
यही भाई रक्षा -बंधन का पूरा फ़र्ज निभाते हैं
ये अनमोल रिश्ते तो भावनाओं से निभाए जाते हैं

आओ मिल कर रक्षा बंधन मनाते हैं
जो भाभी परिवार में घुल - मिल जाती है
वही घऱ की लक्ष्मी कहलाती है

रक्षा बंधन* आते ही हलचल सी हो जाती है l
भाई बहनों की यादें तरो ताजा हो जाती हैं

वंदना घनश्याला की कलम ✍से
सार छंद
विधा-गीत
विषय-स्वतंत्रता दिवस

आजादी का जश्न मनाते, भारत राग सुनाओ।
हर्षित है भू- अंबर देखो, भारत ध्वज लहराओ।।

नभ -थल -जल अब जश्न मनाती, यश हम उनका गाते।
श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, मस्तक आज झुकाते।।
स्मृति उनकी आज दोहराओ, श्रद्धा सुमन चढ़ाओ।
आजादी का जश्न मनाते, भारत राग सुनाओ।।

रवि केसरिया रंग बिखेरे, जग को आज सजाता।
कुदरत धानी रंग सजाता, खुशहाली को लाता।।
श्वेत रंग सा बादल उड़ता, पुष्कर नील उड़ाओ।।
आजादी का जश्न मनाते, भारत राग सुनाओ।।

गंगा यमुना सतलुज प्रहरी, तीनों शान बढ़ाऍं।
लहरें सागर की गीत गाती, ऑंखें अश्रु बहाऍं।।
करो याद उनकी कुर्बानी, सबको यही बताओ।
आजादी का जश्न मनाते, भारत राग सुनाओ।।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा प्रिया
बरगढ़ ओडीशा
Anonymous said…
Nilam prabha Sinha

Rukmini Krishna Bal Vihar
School
Nilam Sadan
Mada Colony
Near Hari Mandir
Hira pur Dhanbad
Jharkhand
Pin Code Number 826001 Phone Number
Nilam Prabha Sinha
6200075890
Akanksha Priya
7903770618.
Email id :nilamprabha12@gmail.com
पन्द्रह अगस्त

लम्बी बेडियों से जकडी थी भारत माता
आया पन्द्रह अगस्त मिली स्वतंत्रता ।
कितनो ने अपना शीश गवाया
तभी पाई स्वतंत्रता स्वतंत्रता ।
कहने से नहीं मिलती स्वतन्त्रता
हर व्यक्ति को पडता है जुझना ।
तन मन धन बुद्धि से पडता है लड़ना ।
लाल रंग से धरा रंगाई भारत का
ये किसके थे रंग कोई समझ न पाया ।
आजादी की लड़ाई मे स्वतंत्रता सेनानी

फांसी के फंदे पर झूल गए
और हम बेहिचक भूल गए ।
उनके बलिदानों का मूल्य भी नहीं
चूकाया
क्योकिं फैला चरम सीमा पर स्वार्थ
पडता ।
मैं रहूँ हर हाल पर सबसे ऊपर ये थी
मानसिकता
देखते ही देखते दो हो गई विचार धारा ।
अमूल्य है यह स्वतंत्रता
सब मिलजुल कर बनाए रखे एकता
भारत का परचम लहराएगा

नीलम प्रभा सिन्हा
Nandini Laheja said…
विषय -चलो मिलकर तिरंगा फहराएं

१५ अगस्त का दिन है आया,
देश प्रेम ह्रदय में भरमाया।
भूलें जाती धर्म का भेद ,
क्यों न फिर हुन्दुस्तानी बन जाएँ,
चलो मिलकर तिरंगा फहराएं।
गाएं देशभक्ति के गीत,
हर्ष उमंग संग मेरे मीत।
स्वतंत्रता दिवस का उत्सव फिर मनाएं,
चलो मिलकर तिरंगा फहराएं।
अनगिनत सैनानियों की कुर्बानी को,
करें हम देशवासी नमन।
अपने कर्तव्योँ का पालन करने का,
करें हम सब प्रण।
आजादी के मतवालों के,
सम्मान में शीश झुकाएं,
चलो मिलकर तिरंगा फहराएं।

नंदिनी लहेजा
रायपुर छत्तीसगढ़
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित्
मोबाइल नंबर 9926179870

Email id nandinilaheja@gmail.com
"" *है मेरी जान, मेरा तिरंगा* ""
************************

*है मेरी जान, मेरा ये तिरंगा*
अब जीना मरना इसके लिए !
*गूंजे सदैव ही जीत का तराना* ..,
है यही चाहत बस देश के लिए !! *1*!!

*आओ, लहराए चलें प्यारा तिरंगा*
उत्तुँग हिम पर्वत शिखरों पे सदा !
*और गाए चलें मिल विजयी गीत* ..,
बढ़ाते कदम मंज़िल पर हम यहाँ !! *2*!!

*है आन बान और शान तिरंगा*
बना माँ भारती का ये अति प्रिय !
*है विश्व विजयी तिरंगा न्यारा* ....,
बसे हरेक भारतीयों के मन हिय !! *3*!!

*हरेक हाथ लिए चला है तिरंगा*
आओ, इसे अब हरेक घर-घर फहराएं !
*बजाते बिगुल मधुर शहनाई नगाड़ा* ..,
चलें जयकारों की धुन से धरा गूंजाएं !! *4* !!

*है पावन प्रिय सभी का प्यारा तिरंगा*
चले भरता देशभक्ति जोश उमंग जुनून !
*इसकी रक्षा खातिर सभी सैनिक* ....,
चलें देते अपना बलिदान और खून !! *5*!!

*देख गदगद होएं हम तिरंगे को*
और जोश उमंग तन-मन में भर जाए !
*आओ चलें मिलके गाते वंदे मातरम्* ..,
और लगाते चलें जयकारे, धरा गुंजाए !! *6*!!

*सदैव बना रहे ऊँचा ये तिरंगा*
और गाएं यशगान हम सभी मिलके !
*चले गूंजे अब देशभक्ति का तराना* ..,
आओ पर्व उत्सव जीत का मनाएं मिलके!! *7*!!

*है मेरी जान, मेरा प्रिय तिरंगा*
हूं नतमस्तक इसके आगे सदा !
*रखूंगा इसे हमेशा यहाँ पे ऊँचा* ..,
भले आएं तूफान कैसे भी यहां !! *8* !!

*है मेरी माटी, प्यारा मेरा ये देश*
मेरा मान गौरव सम्मान तिरंगा न्यारा !
*सदा करता चलूँ रक्षा जान से बढ़के* ...,
और न्यौछावर करूँ तन मन धन सारा !! *9*!!


*¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥*

*सुनीलानंद*
शनिवार
03 अगस्त, 2024
जयपुर,
राजस्थान |
Anonymous said…
सादर नमन मंच
काशी साहित्यिक संस्थान
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस ब्लॉग आधारित काव्य प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि...
विषय:- स्वतंत्रता दिवस
विधा:- कविता

आज़ादी का महोत्सव हम मना रहे,
जन- जन के हृदय में देशभक्ति जगा रहे।

अपनी संस्कृति व सभ्यता का प्रतीक भारत दुनिया में जाना जा रहा,
बलिदानी व वीर जवानों की गाथा सबको सुना रहा।
जन - जन में जोश दिलाकर,
'वसुधैव कुटुम्बकम' का पाठ सबको पढ़ा रहा ।

सुनहरी आज़ादी की ख़ातिर वीरों के अतुलित बलिदान हुए,
देश की धरती पर पर सबके यशोगान हुए।

आज़ादी पाने के सबके थे स्वप्न बड़े,
परन्तु राह में कितने थे रोड़े खड़े । गाॅंधी,भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस की हुई कुर्बानियाॅं,
मंगल पांडेय, राजगुरु ,आदि की गूंजीं थीं अमर कहानियाॅं ।

फिरंगी को खदेड़ने के थे बुलंद इरादे,
आज़ादी पाने को खुद से किए थे पक्के वादे।

आज वो सबके सपने पूरे हुए ,
आज़ादी के सतत्तर स्वर्णिम वर्ष पूरे हुए।
आज स्वतंत्रता दिवस पर हम वीरों के यशोगान गा रहे ,
शुभकामनाओं के सुंदर पुष्प, सबको अर्पित कर रहे।

आज अपनी सभ्यता व संस्कृति को याद हम करते हैं,
आजादी का जश्न मनाने जन - जन के सैलाब उमड़ते है।

आत्म निर्भर भारत बनाने का हमारा यही संकल्प है,
"स्वदेशी अपनाओ "
भारत का यह सुनहरा स्वप्न है।

'वोकल फोर लोकल'को उपयोग में हमको लाना है।
स्वदेशी वस्तुओं को उपयोग में लाकर , इसका प्रचार फैलाना है।
आज विश्व शक्ति के रूप में देश हमारा उभर कर आया है,
जन- जन की भागीदारी से,
सफल अभियान चलाया है।

आज स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव
नव जागृति ले लाया है।
जन- जन के हृदय में आज ,
खुशियों का कमल खिल आया है ।

जय हिन्द! जय भारत!
🙏🙏
नीता माथुर ,लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)
स्वरचित/ मौलिक रचना
मोबाइल नंबर - 9956572810
E mail id- neetasatish22@gmail.com
Ravi Goyal said…
सादर नमन मंच
काशी साहित्यिक संस्थान
विषय - रक्षाबंधन
विघा- कविता

बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे
आने पर दिल अब खिलता है
मन से मन भी मिलता है
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

पापा की बेटी वो प्यारी
मम्मी की राजदुलारी
भाई की आंखों का तारा
साथ है उसका सभी से प्यारा
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

ससुराल गई हमें छोड़कर
अपनों से वो मुंह मोड़कर
आती हर पल उसी की याद
रहे खुश बस है यही फरियाद
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

राखी पर मिलने आएगी
हंसी खुशी भी संग लाएगी
भांजा भांजी साथ आएंगे
घर में रौनक तब लगाएंगे
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

बांधेगी बंधन वो प्यारा
प्यार देगी खूब सारा
लम्बी उम्र की करे कामना
मुश्किल से न हो सामना
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

खुश रहे मेरी बहना सदा
आंसू भर मैं करूँ विदा
जीवन में आये खुशहाली
झोली भी रहे न उसकी खाली
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

भाई को अपने ना भुलाना
बहन तुम हर साल आना
आंखों में लेकर एक इंतज़ार
खड़ा रहूंगा मैं अपने द्वार
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

भाई बहनों का यह नाता
प्यार करना है सिखाता
लड़ो मत और न करो क्रंदन
मिलकर मनाओ सब रक्षाबंधन
बचपन में जिससे लड़ते थे
हर बात पर झगड़ते थे

🖋️रवि गोयल
9212777686
ravirohit1@yahoo.com
काशी साहित्य समूह मंच
प्रतियोगिता हेतु रचना
विषय रक्षाबंधन

सावन आते ही घुमड़ उठे बदरा
खुशी-खुशी नाचें हर बहना का जियरा।।

तेरी कलाई मुझसे दूर है भईया
आते नहीं तुम भेज देते हो रूपईया।।

कहने को तो ये धागो का त्योहार है
भाई बहन का रिश्ता अनमोल उपहार है।।

जिस बहना का भाई रहता परदेश में
उस बहना का दिल लगे कैसे देश में।।

रंग बिरंगी राखी लाये बाजार से
भेज देती भाई को बहन बड़े प्यार से।।

सौभाग्य मेरा भईया तुझको मैं पाई हूँ
इस जीवन में तेरी बहन बनके आई हूँ।।

रहना सलामत हरदम खुशियाँ अपार हो
मेरे भाई का सदा सुखी संसार हो।।

*अंजनी त्रिपाठी "गर्ग"*
*गोरखपुर उत्तर प्रदेश*
न जोड़ है न कोई तोड़ है,न कोई मोल है
सहज स्वाभाविक, राखी का रिश्ता अनमोल है
दोस्ती भी और लड़ाई भी,रूठना भी‌ मनाना भी
सरल सहज प्रेम का , रूप यह अनमोल. है।

धागा यह कच्चे धागे का ,विश्वास के बल का
एक अनूठा सहज संभाव्य ,संबंध प्रेमल. का
इक दूजे की रक्षा का,परम पावन सूत्र पवित्र
मिटाये से ना मिटे कभी, निश्छल स्नेह संबल का

दूर हो या पास, बंधन बाँधे रहता है यह सूत्र
रक्षा का सुरक्षा का ,अभिमंत्रित धागे का मंत्र
विश्वास भरे आस का, पावनता समेटे हुये
विश्वास के बल का ,धागा है यह परम पवित्र

देश के जन-जन हेतु रक्षा बंधन है सुखदायी
राखी बाँध हमने, राष्ट्र रक्षा की कसम है खायी
तन-मन-धन हम सब इसकी रक्षा पर हैं वारे
हम सब भाई बहनों ने ,इसकी महिमा है गायी ।

--डॉ॰ कोशी सिन्हा
सी -९१,से०-जे अलीगंज
लखनऊ ।
koshisinha@gmail.com
This comment has been removed by the author.
वंदेमातरम💐💐💐

हमारी शान तिरंगा हैं पहचान तिरंगा है,
हमारी सांस तिरंगा हैं हमारी जान तिरंगा हैं।
💐💐💐
तीन रंगों में रंगा हुआ हैं पूरा भारत देश मेरा,
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम सब ओर तिरंगा हैं।
💐💐💐
स्व्तंत्रता के वीर बलिदानी लेकर आए जिसको,
शौर्य और हिम्मत की कथा कहता ये तिरंगा है।
💐💐💐
गांधी सुभाष भगतसिंह ने जिसको प्रणाम किया
आजाद के सपनों का भी तो यहीं तिरंगा है।
💐💐💐
जल थल नभ में उभरा है शक्तिमान बनके,
भारत के बढ़ते कदमों का गवाह तिरंगा है।
💐💐💐
सतरंगी रंगों में रंगा है पूरा भारत देश मेरा,
एकजुट रखने हमकों हमारे साथ तिरंगा है।
💐💐💐
देगें अपनी जान भी अपने देश की खातिर,
जीवन हो न हो हमारा अभिमान तिरंगा हैं।
💐💐💐
रजत दीक्षित"रजत"
जगदलपुर बस्तर (छ.ग.)
स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
Email- rajat009.rd@gmail.com
*सुभग तिरंगा* 🇮🇳 उभरते भारत पर कुछ पंक्तियाँ..

आततायी, विध्वंसक अब बिखर रहा,
सुख समतामय में भारत निखर रहा,
अब बेबस नहीं अपना देश प्यारा;
निशिदिन सशक्त प्रगति पथ संवर रहा !
सुभग तिरंगा लहर लहर, लहर रहा।

अंतस्ताप, दुःख दर्द अब गुजर रहा,
शुभ मंगल सुनहला भारत उभर रहा,
अब विचलित नहीं यह देश प्यारा;
निशिदिन प्रचंड महारत संवर रहा !
सुभग तिरंगा लहर लहर, लहर रहा।

अर्थ पिपासु प्रवंचक थर-थर डर रहा
सुभग तिरंगा लहर लहर, लहर रहा,
अब विवश नहीं अपना देश प्यारा;
शोभित गगन संग भारत संवर रहा !
सुभग तिरंगा लहर लहर, लहर रहा।

शोषक, लुटेरा, डाकू सिहर रहा,
झूठों का साम्राज्य घिर, गिर रहा,
अब मजबूर नहीं यह देश प्यारा;
घर आँगन, गाँव शहर सब संवर रहा।
सुभग तिरंगा लहर लहर, लहर रहा।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©
विषय : 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्र भारत है, स्वतंत्र मुल्क है
स्वतंत्र देश की आवाज़ स्वतंत्र है

स्वतंत्र सोंच है, स्वतंत्र बोल है
अपने अब ख़यालात स्वतंत्र हैं

स्वतंत्र मन है स्वतंत्र तन है
अपने अब दिलों दिमाग स्वतंत्र है

स्वतंत्र लेख है, स्वतंत्र संवाद है
स्वतंत्र कलम की वो स्याह स्वतंत्र है

स्वतंत्र आश है, स्वतंत्र सांस है
इस देश की अब फिज़ा स्वतंत्र है

स्वतंत्र दिन है, स्वतंत्र रात है
इस देश की अब राहें स्वतंत्र है

स्वतंत्र ज़मी है, स्वतंत्र गगन है
हमारी अब हर उड़ान स्वतंत्र हैं

स्वतंत्र हैं सब नेता, स्वतंत्र है सेना
मेरे देश का अब तिरंगा स्वतंत्र है

स्वतंत्र है दिन स्वतंत्र है साल
15 अगस्त देश हुआ स्वतंत्र है

स्वतंत्र तुम हो, स्वतंत्र 'गौरव' हैं
हर इन्सान अब यहां स्वतंत्र है

✍️ गौरव कर्ण
गुरुग्राम, हरियाणा
9899104533
gauravkarn@gmail.com
सादर नमन आदरणीय मंच
काशी साहित्यिक संस्थान
ब्लॉग आधारित काव्य प्रतियोगिता
विषय :रक्षाबंधन


रक्षाबंधन

उड़ने लगते हैं घनेरे बादल
खेलने लगती है खेल
धूप आंख मिचोनी का
पड़ने लगती हैं
फुहारें बरखा की
डलने लगते हैं झूले
आ जाता है ,छा जाता है
सावन मनभावन।

नाच उठता है मन मयूर
सजने लगते हैं
हाथ मेहंदी से
डलने लगते हैं
झूले घर घर में
आने लगती है
याद बहन को
अपने प्यारे भैया की
जो आएगा ,जरूर आएगा
मिलने अपनी प्यारी बहना से ।

वह आएगा बंधवाने राखी
रक्षाबंधन के पर्व पर
जो मनता है हर वर्ष
श्रावण मास की
पूर्णिमा के दिन
जब शोभायमान
हो जाता है आकाश
पूर्ण चंद्र से ।

इंतजार करती है
इस दिन बड़ी बेसब्री से
बहनें अपने भाइयों का
पहनते हैं सभी नए वस्त्र
बनने लगते हैं
पकवान घर घर में ।

आरती का थाल सजा
मस्तक पर टीका लगा
उतारती है आरती
बहन अपने भाई की
मुंह मीठा करा
बांधती है राखी।

जो है प्रतीक
भाई बहन के
अटूट प्रेम का
जिससे बंधी है
डोर मन की
जो नहीं टूटती है
अंतिम सांस तक

रक्षा की यह डोर
बंधवाकर भाई भी
दिलाता है विश्वास
बहन को उसकी
रक्षा करने का
पग पग पर उसका
साथ देने का ।

आखिर भाई बहन के
पवित्र रिश्ते का पर्व
राखी प्रतीक है
विश्व बंधुत्व का
भाईचारे व एकता का
जिसके प्रेम सूत्र में बंधकर
फहराता है परचम
संपूर्ण विश्व में
अमन व शांति का ।

डॉ मंजुला पांडेय
ईमेल:manjulapandey51@gmail.com
9897730103
कठघरिया, हलद्वानी जिला नैनीताल
*रक्षाबन्धन*

आया रक्षाबंधन का त्यौहार
लेकर खुशियां अपार
चारो तरफ है ,
सावन की फुहार
धीमी-धीमी चले
मदमस्त बयार
जिसमें आया रक्षाबंधन का त्यौहार,
लेकर खुशियां अपार ।
संग लाया भाई-बहन का प्यार,
सारे जगत में अटूट है,
भाई-बहन का नाता
कोई भी हो विकट परिस्थिति,
भाई है अपना वचन निभाता ।
बहन ने बांधी रेशम की डोर
बड़े ही प्यार व विश्वास से,
जो भाई को हर पल,
हर मुसीबतों से है बचाता ।
भाई-बहन के रिश्तों
का कोई होता न मोल,
ये तो है सबसे अनमोल ।
बहन माँगे न कोई उपहार,
जन्मों-जन्म तक बना रहे
आपस में भाई-बहन का प्यार ।
आया रक्षाबंधन का त्यौहार,
लेकर खुशियां अपार ।



नाम - हेमलता साहूकार
कुरुद, छत्तीसगढ़
विधा - कविता रक्षाबंधन
ईमेल - hembhagyo1975@gmail.com
Anonymous said…
#अखंड भारत🙏🏻🇮🇳

"कितना मधुर लागे है,
जब सारे भारतवासी,
एक ही सुर में गावें हैं,
जय हे,जय हे,जय हे,
अमर शहीदों की जय हे,
भारत माता की जय हे।🙏

कितना अपनापन लागे है,
जब सारे हिंदुस्तानी.....,
एक साथ तिरंगा लहरावे है,
हर-घर तिरंगा फहरावे है,
जय हे,जय हे,जय हे,
स्वाभिमान तिरंगे की जय हे,
भारत भूमि की जय हे।🙏

मन हर्षित हो जावे है,
तन गर्वित हो जावे है,
जब ऊंच-नीच,जाति-पाति,
धर्म,मजहब का भेद मिटाकर,
सारे भारतवासी....,
एक सूत्र में बधँ जावे है,
जय हे,जय हे,जय हे,
एकता की शक्ति की जय हे।🙏

मन शक्ति से भर जावे है,
जब वीर शहीदों की गौरव गाथा,
अपने बच्चों से बतलावें है,
जन-मानुस को समझावे है,
जय हे,जय हे,जय हे,
स्वतंत्रता दिवस की जय हे,
भारत के वीर सपूतों की जय हे।🙏

अकेला कोई कुछ भी नहीं है,
पर जब मिल जावें,सब एक साथ,
तो यह शक्ति,"एकता की शक्ति",
'परमाणु शक्ति से 'कम' नहीं है',
हो,जन-जन का सहयोग,
"अखंड भारत के निर्माण में",
मातृभूमि की सेवा में, 🙏

जय हे,जय हे,जय हे,
राष्ट्रीय तिरंगे की जय हे,
हर घर तिरंगे की जय हे,
भारत माता की जय हे।🙏

🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

__सुनीता सिंह उत्तर-प्रदेश
singh.sunita453@gmail.com
Sunita Singh said…
#अखंड भारत🙏🏻🇮🇳

"कितना मधुर लागे है,
जब सारे भारतवासी,
एक ही सुर में गावें हैं,
जय हे,जय हे,जय हे,
अमर शहीदों की जय हे,
भारत माता की जय हे।🙏

कितना अपनापन लागे है,
जब सारे हिंदुस्तानी.....,
एक साथ तिरंगा लहरावे है,
हर-घर तिरंगा फहरावे है,
जय हे,जय हे,जय हे,
स्वाभिमान तिरंगे की जय हे,
भारत भूमि की जय हे।🙏

मन हर्षित हो जावे है,
तन गर्वित हो जावे है,
जब ऊंच-नीच,जाति-पाति,
धर्म,मजहब का भेद मिटाकर,
सारे भारतवासी....,
एक सूत्र में बधँ जावे है,
जय हे,जय हे,जय हे,
एकता की शक्ति की जय हे।🙏

मन शक्ति से भर जावे है,
जब वीर शहीदों की गौरव गाथा,
अपने बच्चों से बतलावें है,
जन-मानुस को समझावे है,
जय हे,जय हे,जय हे,
स्वतंत्रता दिवस की जय हे,
भारत के वीर सपूतों की जय हे।🙏

अकेला कोई कुछ भी नहीं है,
पर जब मिल जावें,सब एक साथ,
तो यह शक्ति,"एकता की शक्ति",
'परमाणु शक्ति से 'कम' नहीं है',
हो,जन-जन का सहयोग,
"अखंड भारत के निर्माण में",
मातृभूमि की सेवा में,🙏

जय हे,जय हे,जय हे,
राष्ट्रीय तिरंगे की जय हे,
हर घर तिरंगे की जय हे,
भारत माता की जय हे।🙏

🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

__सुनीता सिंह उत्तर-प्रदेश
singh.sunita453@gmail.com

Sunita Jauhari :- Thanks for visiting my blog !! " सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं " - सुनीता जौहरी