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आनलाइन संस्थानों का सच ( Part-1 ) -- सुनीता जौहरी

"कपटी आदमी कपट से ही काम लेगा " इन लोगों ने इस कहावत को चरितार्थ करते हुए एक चाल चलीं... कहतें है..."एक औरत ही एक औरत की दुश्मन होती है" खुद को नीता की प्रसिद्धि से बचने के लिए करनवीर और मोहित ने इस वाक्यांश का बखुवी इस्तेमाल किया ... ये लोग गीता नाम की एक महिला ले आए जो बड़ी लटके-झटके वाली प्रतीत हो रही थी...वह करनवीर और मोहित से फोन पर काफी कनेक्टेड रहती थी और एक्टिव भी उसकी एक्टिव नेस को भुनाने के लिए गीता को संस्थान के सभी इकाइयों के अलंकरणकर्ताओं का प्रमुख बना दिया गया और समूह में घोषणा कर दी गई कि यह आज से सभी इकाइयों के अलंकरण कर्ताओं की प्रमुख है, आज से सभी अलंकरणकर्ता इन से पूछ कर ही सारे कार्य करेंगे और सभी इकाइयों में इन्हीं का सिग्नेचर सम्मान-पत्रों पर लगेगा... 

वो आगे क्या करतीं हैं? 

उसके साथ और क्या- क्या हुआ?... 

आगे पढ़ने के लिए आपको किताब का इंतजार करना होगा... 

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किताब का नाम- आनलाइन संस्थानों का सच

लेखिका- सुनीता जौहरी

मूल्य- ₹160

विधा- कहानी

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लेखिका

सुनीता जौहरी

वाराणसी, उत्तर प्रदेश

#किताब #कहानी #आनलाइन संस्थानों का सच #सत्यकहानी 


                                                                                                                                

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28 Comments

Unknown said…
बहुत अच्छा की आप।। ऐसे लोगो को का सत्य समाज के सामने लाना भी चाहिए 🙏🙏🙏
Deshi Writer said…
सही कहानी है
Unknown said…
बहुत दुःखद ऐसे लोगों की सच्चाई सामने आनी ही चाहिए
संगीता said…
ऐसी संस्था को समाज के सामने लाके आग लगा देनी चाहिए ����
Ruchika rai said…
ऐसे संस्थानों को उनका असली चेहरा दिखाना जरूरी है।
दीदी, सही कहा आपने... यह समय का चेहरा है..
यथार्थ का आईना जिसमें समझदार ज्यादा फंसते ,बेवकूफ नहीं
एक कहावत है कि सत्य कभी परेशान नहीं होता एवं असत्य कभी भी सफल नहीं होता। अर्चना नाम की इस किरदार की मानसिकता इतनी मजबूत है कि उन्हें ऐसी घटना से ठेंस नहीं सबक मिली है और उन्होंने ऐसे "संस्थानों के नीच प्रसाशकों" की पोल खोल कर रख दी।
न जाने हमारे ऑनलाइन साहित्यिक दुनिया में ऐसी कई "अर्चना" होंगी जो इसी प्रकार शोषित हो रही हैं। यह कहानी उन सभी के लिए सुबह की एक नई किरण के समान है।
जी, कड़वा है लेकिन सत्य है।
जी, धन्यवाद, बिल्कुल लाना चाहिए
जनार्दन भारद्वाज said…
बहुत ही सुन्दर और सत्य पर आधारित कहानी है दीदी
आपकी कहानी पढ़ने के बाद यह दुख होता है कि अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ये संस्थान कितने ही अच्छे साहित्यकारों को हतोत्साहित कर चुके होंगे जिससे कि उनकी लेखन कला प्रभावित हुई होगी लेकिन आपकी कहानी उन सबके मुँह पर करारा तमाचा है जो ऐसा कार्य कर रहे हैं
लोग जागरूक हो जाए इतना ही काफी है
Sunita Jauhari said…
bilkul shi kaha aapne
Sunita Jauhari said…
हां, बिल्कुल यही उद्देश्य है मेरा
कटुक सत्य। स्पष्ट अंदाज, स्पष्ट कहन।
सत्य का उद्बोधन साहित्यकार का लेखकीय धर्म होता है। स्वस्तिः।
हम तो भुगत भोगी...2साल से ऊपर दिए ऒर.... Out
Sunita Jauhari said…
जी, धन्यवाद हौसला अफजाई के लिए
Sunita Jauhari said…
बिल्कुल सही कहा आपने
यह संस्थान कौन सा है कृपया प्रकाश डाले, जिससे सावधान रहा जा सके
chetan meena said…
Well penned ✍️.....keep continue
Sunita Jauhari said…
Ji shukriya 💐💐
Sunita Jauhari said…
आप जिसे समझ रही है,वही है...
Ramji Solanki said…
बिल्कुल सही कहा आपने सुनीता जी
अर्चना ही अकेली नहीं कई सारे लोग ऐसे फ्रॉड लोगों के हाथो शिकार हुए हैं
और मे भी शिकार हुआ हूँ और जिसके कहने से हुआ उसे खुद पता नहीं था कि ऑनलाइन publication वाले भी उसको धोखा दे रहे हैं

Sunita Jauhari :- Thanks for visiting my blog !! " सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं " - सुनीता जौहरी