"कपटी आदमी कपट से ही काम लेगा " इन लोगों ने इस कहावत को चरितार्थ करते हुए एक चाल चलीं... कहतें है..."एक औरत ही एक औरत की दुश्मन होती है" खुद को नीता की प्रसिद्धि से बचने के लिए करनवीर और मोहित ने इस वाक्यांश का बखुवी इस्तेमाल किया ... ये लोग गीता नाम की एक महिला ले आए जो बड़ी लटके-झटके वाली प्रतीत हो रही थी...वह करनवीर और मोहित से फोन पर काफी कनेक्टेड रहती थी और एक्टिव भी उसकी एक्टिव नेस को भुनाने के लिए गीता को संस्थान के सभी इकाइयों के अलंकरणकर्ताओं का प्रमुख बना दिया गया और समूह में घोषणा कर दी गई कि यह आज से सभी इकाइयों के अलंकरण कर्ताओं की प्रमुख है, आज से सभी अलंकरणकर्ता इन से पूछ कर ही सारे कार्य करेंगे और सभी इकाइयों में इन्हीं का सिग्नेचर सम्मान-पत्रों पर लगेगा...
वो आगे क्या करतीं हैं?
उसके साथ और क्या- क्या हुआ?...
आगे पढ़ने के लिए आपको किताब का इंतजार करना होगा...
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किताब का नाम- आनलाइन संस्थानों का सच
लेखिका- सुनीता जौहरी
मूल्य- ₹160
विधा- कहानी
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लेखिका
सुनीता जौहरी
वाराणसी, उत्तर प्रदेश
#किताब #कहानी #आनलाइन संस्थानों का सच #सत्यकहानी
28 Comments
न जाने हमारे ऑनलाइन साहित्यिक दुनिया में ऐसी कई "अर्चना" होंगी जो इसी प्रकार शोषित हो रही हैं। यह कहानी उन सभी के लिए सुबह की एक नई किरण के समान है।
आपकी कहानी पढ़ने के बाद यह दुख होता है कि अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ये संस्थान कितने ही अच्छे साहित्यकारों को हतोत्साहित कर चुके होंगे जिससे कि उनकी लेखन कला प्रभावित हुई होगी लेकिन आपकी कहानी उन सबके मुँह पर करारा तमाचा है जो ऐसा कार्य कर रहे हैं
सत्य का उद्बोधन साहित्यकार का लेखकीय धर्म होता है। स्वस्तिः।
अर्चना ही अकेली नहीं कई सारे लोग ऐसे फ्रॉड लोगों के हाथो शिकार हुए हैं
और मे भी शिकार हुआ हूँ और जिसके कहने से हुआ उसे खुद पता नहीं था कि ऑनलाइन publication वाले भी उसको धोखा दे रहे हैं