Sunita Jauhari : Welcome to my blog !! सुनीता जौहरी : सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं

जीवन चौराहा

जीवन चौराहे पर खड़ा -खड़ा
यूं एक मुसाफिर सोच रहा
कौन सा मोड़ मैं अपनाऊं,
किस पथ पर आगे जाऊं?

पहला मोड़ व्यभिचार खड़ा है
मानवता औंधे गिरा पड़ा है
अपराधी घूम रहे गली- गली
कैसी यह जहरीली हवा चली ।

दूजा मोड़ अमोल रोटी तक जाता
भूख से आंतें अकड़- कुलबुलाता
गोल- गोल भूगोल सी रोटी है बस
तरसें नयना होकर व्याकुल बेबस ।

तीजी मोड़  पर जिम्मेदारी खड़ी है
मां- बहन, सुकोमल बेटी से बड़ी है
मन में हाय! बेकल हूक सी जगी है
किस्मत,करम परस्पर खेल रही है ।

चौथी मोड़ पर है सादा सा जीवन
सारा जग है अपना वसुधैव कुटुंबकम्
न कोई चाह, न मन में कोई अभिलाषा
जीवन मरण की न जगें कोई पिपासा ।

ये जीवन इन सब में उलझ गया है
असमंजस में आज घिर सा गया है
मोह- माया ने ऐसा हैं सबको घेरा
कौन मोड़, किस राह पर डालूं डेरा ?

भीड़ बहुत है इन दुर्गम राहों पर
मगर सुन लो अंतर्मन की पुकार
सत्य, अहिंसा, शांति की गठरी लें
गर्व से करूं मैं दुष्कर डगर पार ।।

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© सुनीता जौहरी

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1 Comments

Dr.J.P.Tiwari said…
कटु सत्य

Sunita Jauhari :- Thanks for visiting my blog !! " सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं " - सुनीता जौहरी