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ब्लॉग आधारित प्रतियोगिता

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6 Comments

Meena RAVI (Principal) said…
ID No 340
6/5/2023

प्रतियोगिता हेतु

शीर्षक
*मां*



मां के चरणों में करती हूं मैं नमन जिसने जन्म दिया और करती रही मेरी सेवा हर पल करती हूं मैं उसको नमन।

खुद भूखी रही और करती रही हर पल काम लेकिन मुझको कभी न रखा उसने भूखा।

मैं तो बेटी हूं उसकी परछाई हूं मुझे देखकर वह जीती रही हर पल,करती हूं मैं नमन।

आज मेरे पिता नहीं रहे हो गई वह अकेली किससे अपनी मन की बातें कहें, बच्चों को ही ढूंढती रहती है उसकी आंखें।

आज किसी के पास उसके लिए समय नहीं रहा
आज तुम सब बच्चें भी अपना फर्ज निभाओ जैसा आज करोगे वैसा ही कल होगा तुम्हारे साथ भी।

यही संसार की रीत है तुम सबने भी इसी तरह करनी है सेवा अपने बच्चों की और इंतजार करते रहोगे उनके आने का हर पल, जैसे आज मां करती है इंतजार तुम सबका।

मैंने तो बेटी बनकर अपना फर्ज निभाया मैं तो बेटी हूं उसकी परछाई हूं उसकी सब जिम्मेदारी पूर्ण करने में मैंने उसका हर पल दिया साथ।

मैंने तो निभा दिया फर्ज आज भी करती हूं उसको हर पल याद, मां मेरी है बहुत प्यारी करती हूं मां के चरणों मैं नमन।


*श्रीमती मीना रवि, प्रधानाध्यापिका, राजकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डुंगरी, नैनीडांडा, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।*
Unknown said…
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Unknown said…
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Unknown said…
कंचन कंठ
प्रतियोगिता हेतु

माँ
ममता की वह अजस्र धार
रहता हरदम दिल में प्यार
हमारी पल पल चिंता करती
सुख साधन कदमों में धरती

सुबह शाम बस इतना काम
बच्चों का हो भविष्य अभिराम
कितने दुख और कष्ट उठाती
फिर भी ऊफ! ना आँसू बहाती

अगर जो आए शिशु पर घात
बनती तत्क्षण चंडी मात
ऐसी माँ का ध्यान धरो रे
हरदम उसके साथ चलो रे

मत पहुंचाओ उसे आघात
जीत कर भी ना पाए मात
तुमको है लाती इस दुनिया में
पोसे पालें करें जतन सौ

फिर तुम उसे क्यों देते पीड़
तुम्हारी बाहें उसका नीड़
बूढ़ी, अशक्त असहाय नहीं
अनुभव की है छांव घनी

सर पर उसका हाथ रहे सदा
जगजननी का ज्यों प्रसाद मिला
पाओ ममता की शीतल छाँव
स्वर्ग लगा दें जिस पर दाँव

मौलिक, स्वरचित: कंचन कंठ
kanchank1092@gmail.com
Swati Bhargavaa said…
प्रतियोगिता हेतु

❤मेरी माँ❤

मातृ दिवस तो सिर्फ ,तुझे सम्मान देने के लिए बनाया,मेरी माँ
वरना कौन सा दिन तेरे बिन है, ये नहीं जानती मैं,मेरी माँ

मेरा पहला प्यार , मेरी आदर्श, संस्कार तुम हो मेरी माँ
क्या होता भगवान, प्रार्थना, बताने वाली तुम ही हो, मेरी माँ

तूने किए कितने संघर्ष, हमें पालने और बड़ा करने में, मेरी माँ
हमें पढ़ाने और अच्छा इंसान बनाने में, खुद को भूली तू,मेरी माँ

मैंने बचपन से देखा तुझको, रात और दिन मेहनत करते
ना समय पर खाना ना समय पर सोना,सब भुलाया तूने

कैसे बच्चों की परवरिश है करनी, या करना खुद को मजबूत
ना मानूंगी हार मैं,तुम्हें पता है माँ,यह सब सीखा मैंने तुझसे

फ्रॉक याद है मुझे जो दिवाली की सुबह सिली थी मेरे लिए
सब काम छोड़, मुझे त्यौहार पर नया कपड़ा पहनाना जो था

आज तेरे इस दिन पर मैं क्या उपहार दें सकती हूँ तुझे?
जिसने मुझे जीवन दिया,जिसने मुझे सब संसार दिखाया

उसके लिये कहाँ मेरी औकात?,कहाँ मैं कुछ देने के काबिल?
तेरी खुशी और तेरे स्वास्थ्य की, करती हर दम ईश्वर से प्रार्थना

माँ हूं मैं भी अब दो बेटों की, तुझसे सीख,दिए उन्हें संस्कार
मातृ दिवस पे "नक्षत्र"हर माँ को देती, शुभकामना एवं आभार।।
🙏❤🙏
Penned by -: Swati Bhargava "नक्षत्र "
Lucknow (U. P.)

शीर्षक - माँ
माँ शब्द सुनते ही सुकून सा मिलता है,
बिन उसके सब खाली खाली सा लगता है,
है माँ तो रौनक है घर की,
बिन उसके सारी खुशियाँ है फीकी,
वो माँ है जो जादू कर देती है,
सारी उलझने चुटकी में हल कर देती है,,
पढ़ी लिखी नही है शायद,
इसलिए मेरे खाने की चार रोटी को,
हमेशा आधा गिन लेती है,
उड़ा के अपना आँचल,
एक मीठी निंदिया दे जाती है,
यकीं मानो तो पूरा संसार है माँ ,
इस धरती पे ईश्वर का वरदान है माँ,
कितना भी कर लो तुम उसके लिए,
हमेशा कम पड़ ही जाएगा,
अरे नौ महीने कोख और दूध का कर्ज़,
ऐसे ही थोड़ी उतर जाएगा,
तेरी मुस्कान के लिए वो जीती है,
तू हँसता है तो वो हँसती है,
माँ के आशीर्वाद से ही हमारे,
दामन की खुशियाँ निखरती है।।
©दीपक पोखरियाल (deepocean)
34 पोस्ट ऑफिस रोड,
क्लीमेंट टाऊन,
देहरादून - 248002
उत्तराखंड
ईमेल - deepak.pokhriyal05@gmail.com

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