"माँ जी, बिल्कुल ना घबराइए,आपके पति बिल्कुल भले-चंगे होकर ही जाएँगे।" औरत फिर भी रोती रही,उसने कहा कि "अस्पताल की फीस बहुत है वह कहाँ से लाएगी।"शंभू को उस पर दया आ गई।
"आप बिल्कुल चिंता ना करें,वह सब भी हो जाएगा।"
जैसे ही शंभू उस व्यक्ति को देखता उसे लगता है जैसे उसने बरसों पहले इस चेहरे को कहीं देखा है ।स्मृति पटल पर थोड़ा जोर देने पर उसे याद आ जाता है कि यह चेहरा उसने कहाँ देखा है ?उसे सब याद आता है।
आखिर उसे क्या याद आता है? वह व्यक्ति कौन था,जिसका एक्सीडेंट हुआ था? उस व्यक्ति से शंभू का क्या नाता था?
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