Sunita Jauhari : Welcome to my blog !! सुनीता जौहरी : सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं

शून्य से आस है

शून्य प्रकाश हैं
शून्य की तलाश हैं
शुन्यता को घेरे हुए 
शून्य से ही आश हैं ।

महाकाल के काल में
शून्यता के गाल में
जीवन से मृत्यु और
मृत्यु - जीवन ताल में ।

घाटों की कोलाहल
आरतियों की गूंज में
मंदिर के घंटियों का स्वर 
तिलक सजे भाव पूंज में ।

दीपकों की रोशनियों में
शांत लहरों के स्वर में
वजूद है तुम्हारा कण-कण में
क्षणभंगुर और नश्वर में ।

तंग गलियों से गुजरता
बेजान जिस्म का वजूद
अवस्थाएं, स्थिति और 
अंतिम सत्य का सच्चा रूप ।

 शेष बचा मणिकर्णिका की
 मुट्ठी भर गर्म चिंता की राख
 जलती बुझती व्यक्तित्व की
 चिंगारी बन चिनकती साख ।

अनवरत यात्रा का सफर
परे होकर सबसे स्वतंत्र
शून्य से शून्य तक का डेरा
समझ जीवन चक्र का तंत्र ।

बस शून्य हो जाना चाहती हूं
तोड़कर सारे लोक चक्कर
फिर भी जारी है शून्य से शुरू
शून्य और अनंत का सफर ।।
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© सुनीता जौहरी

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