Sunita Jauhari : Welcome to my blog !! सुनीता जौहरी : सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं

राष्ट्रीय प्रतियोगिता 2022


"स्वतंत्रता दिवस प्रतियोगिता का परिणाम घोषित"
 20/8/ 2022, काशी साहित्यिक समूह एवं Iconicquote की तरफ से संयुक्त रुप से आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित " स्वतंत्रता दिवस प्रतियोगिता" का परिणाम घोषित कर दिया गया । 
काशी साहित्यिक समूह की संस्थापक सुनीता जौहरी नें वाराणसी से यह जानकारी दी कि काशी साहित्यिक समूह एवं  Iconicquote की तरफ से आयोजित इस प्रतियोगिता में देश - विदेश से अनेकों रचनाकारों ने प्रतिभाग किया, जिसमें डॉ अशोक बिहार से श्रीमती अरुणा अग्रवाल तथा ममता तिवारी छत्तीसगढ़ से आमलपूरे सूर्यकांत विश्वनाथ, डॉ राजेश कुमार मंगला "पार्थ", डी आर महतो मनु रांची से, माधुरी देवी सोमाराजू, विजय कुमार हैदराबाद से पूजा ग्वाल तथा गुरुदीन वर्मा राजस्थान से योगेश सिंह धाकरे "चातक" मध्य प्रदेश से, वर्तिका अग्रवाल वाराणसी से तथा रश्मि सिंह शैलसुता कनाडा से ने प्रतिभाग किया । 
प्रतियोगिता का परिणाम घोषित करते हुए सुनीता जौहरी तथा विवेक प्रकाश दोनों ने विजेता प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दी । 
विजेता प्रतिभागियों में ममता तिवारी तथा वर्तिका अग्रवाल संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर रही तथा गुरुदीन वर्मा और राजेश कुमार मंगला पार्थ भी संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान पर रहे ,विजय कुमार हैदराबाद तेलंगाना से तृतीय स्थान पर रहे , तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रश्मि सिन्हा शैलसुता कनाडा से प्रथम रही। 
नीता रानी साहू, अरुणा अग्रवाल, डी आर महतो आदि के प्रयास सराहनीय रहे । 
इस अवसर पर सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए सुनीता जौहरी तथा विवेक प्रकाश जो काशी साहित्यिक समूह एवं  Iconicquote के संस्थापक है, इन्होंनें सबको हार्दिक बधाइयां दी । सभी को उनके सम्मान- पत्र डाक द्वारा उनके घर पर भेज दिया जाएगा।








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15 Comments

Welcome🎉 to all writers
मेरी जान है तिरंगा 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️

भारत की जान है तिरंगा
भारत की पहचान है तिरंगा
भारत की शान है तिरंगा
बलिदानों के बलिदान की खान है
तिरंगा
मत पूछो कितनों के खून बहे
और कितने घर वीरान हुए
हम भारत वासी एक थे
हम भारत वासी एक हुए
बलिदानों के खून से लहराया है तिरंगा
महापुरुषों के संग्राम से
आज हर घर है तिरंगा
हर भारतवासी के दिल की
धड़कन है तिरंगा
सुख शांति समृद्धि से बना हुआ है
तिरंगा
झुक जाएगा सर हमारा
मगर झुकने न देंगे हम तिरंगा
सबसे बड़ा हमारा मान है तिरंगा
भारत का सम्मान है तिरंगा
भारत के सम्मान का प्रतीक है तिरंगा
मेरे महापुरुषों के लिए नमन है तिरंगा
मेरे जवानों ने दे दी हैं जानें अपनी
पर झुकने न दिया तिरंगा
कभी लाल हुआ कभी हरा हुआ
कभी सफेद हुआ
पर हर रंग रूप में लहराया गया तिरंगा
जवानों के मां बाप के बलिदान का दान है तिरंगा
भाई बहन के प्यार का दान है तिरंगा
तीन रंग लेकर मेरी जिंदगी का हर रंग है तिरंगा
आज की बर्ष गांठ पर
हमारे महापुरुषों के कारण
आज हर घर है तिरंगा
भारत में महापुरुषों को जाता है पूजा
क्योंकि महापुरुषों की वजह से ही
हमारी आजादी के साथ लहराया गया था तिरंगा
मेरा हिन्दुस्तान है तिरंगा
मेरी नसों में बहने वाला खून है तिरंगा
मेरी जान है तिरंगा
कह दो पूरी दुनिया में
भारत का नाम है तिरंगा
हम जान भी अपनी दे देंगे हम शान भी अपनी दें देंगे
और जो आया इसे झुकाने
तो भारत मां की कसम उसी के ऊपर हम लहरा देंगे तिरंगा।

जय हिन्द भारत माता की जय 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
पूजा ग्वाल ✍🏻❣️❣️
🫡🙏🏻 भारत के नागरिकों का जज्बा 🙏🏻🫡

कुर्बानियों को फ़र्ज़
समझा जाता हो जहां
वो बात आज भी मेरे वतन
भारत में है
झुक जाएं तिरंगे के आगे सर जहां
वो आदर आज भी
मेरे वतन भारत के लोगों में है
जो दे गए बलिदान इस जहां को उनका सम्मान आज भी
मेरे वतन भारत में है
झुका देंगे हम दुनिया जहां भर को
जो झुकने ना दें वो जुनून
आज भी मेरे वतन भारत के जवानों में है
तिरंगे में लिपट कर मौत को
जन्नत समझा जाता हो जहां
वो कुर्बानियों का जज्बा
आज भी मेरे वतन भारत के सभी नागरिकों में है।
🙏🏻जय हिन्द जय भारत 🙏🏻

पूजा ग्वाल ✍🏻❣️
Anonymous said…
waah
hindhujyothi said…
*आजादी के अमृत महोत्सव*

पचहत्तर साल की खुशी है।
ये आजादी का अमृत महोत्सव।

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा के नारों से अंग्रेजों पर गरजा।
इस वीर पुरुष बाल गंगाधर तिलक का है ये अमृत महोत्सव।


तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा..! जय हिंद! आजाद हिंद फौज व्यवस्थापक वीर पुरुष सुभाष चंद्र बोस जी का है ये अमृत महोत्सव।

मेरे खून का एक-एक कतरा कभी तो इंकलाब लाएगा।
नारे से अंग्रेजों की रीढ़ की हड्डियों को तोड़ दिया
वो हमारा वीर भगत सिंह का है ये अमृत महोत्सव।

बहुत से वीर महान पुरषों का त्याग फल,
कर्म फल है ये अमृत महोत्सव।

जो मृत नही है वही अमृत है।
स्वतंत्रता संग्राम के वीर पुरुष चिरंजीवी है।
इनका है ये अमृत महोत्सव।
जय हिन्द!वंदेमातरम!

जि. विजय कुमार
हैदराबाद, तेलंगाना

Full Name -
Gundal Vijay Kumar
Address -
H.No:B-401, Phase 2, Near Red Water Tank, Opp: Megha driving School, Vanasthalipuram,

City- Hyderabad

State- Telangana

Pincode- 500070

Country- India

Mobile Number - 9642714014
Email : vijaykumar.gundal@gmail.com
Unknown said…
तिरंगा झंडा

ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

तेरी ही खातिर मिट गए , मां के जवान बेटे
तेरी ही खातिर हो गए सिन्दूर मटिया मेटे
तेरी ही खातिर हो गयीं, शहीद भी जवानियाँ
तेरी ही खातिर हो गयीं, बेजान सूनी राखियाँ
श्रद्धांजलि समर्पित, हृदयसे कर रहा हूँ
ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

उस दासता के युग में, जब सिर तेरा उठाते
गोली से मारे जाते, कोड़े लगाए जाते
बहु बेटियों की इज्जत, पर हाथ डाले जाते
बेवक्त हिंदवासी ही, बेमौत मारे जाते
उस क्रूरता के युग का, वह त्रास गा रहा हूँ
ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

तू आन है हमारी, तू शान है हमारी
तू मान है हमारा, तू जान है हमारी
तेरे लिए समर्पित, सर्वस्व अपना सारा
संतान हम हैं तेरी, तू प्रेरणा हमारा
यह शीश तेरे चरणों मे धर, सुधर रहा हूँ
ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

रचनाकार
डॉ राजेश कुमार मंगला 'पार्थ'
पलवल, हरियाणा
Unknown said…
डॉ राजेश कुमार मंगला 'पार्थ'
एसोसिएट प्रोफेसर,
NGF कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी पलवल, हरियाणा

Address
81/A, मोती कॉलोनी, पेट्रोल पम्प के पीछे, पुराने सोहना मोड़ के पास, पलवल, हरियाणा
Pin 121102

rajeshmangla2014@gmail.com
Unknown said…
तिरंगा झंडा

ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

तेरी ही खातिर मिट गए , मां के जवान बेटे
तेरी ही खातिर हो गए सिन्दूर मटिया मेटे
तेरी ही खातिर हो गयीं, शहीद भी जवानियाँ
तेरी ही खातिर हो गयीं, बेजान सूनी राखियाँ
श्रद्धांजलि समर्पित, हृदयसे कर रहा हूँ
ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

उस दासता के युग में, जब सिर तेरा उठाते
गोली से मारे जाते, कोड़े लगाए जाते
बहु बेटियों की इज्जत, पर हाथ डाले जाते
बेवक्त हिंदवासी ही, बेमौत मारे जाते
उस क्रूरता के युग का, वह त्रास गा रहा हूँ
ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

तू आन है हमारी, तू शान है हमारी
तू मान है हमारा, तू जान है हमारी
तेरे लिए समर्पित, सर्वस्व अपना सारा
संतान हम हैं तेरी, तू प्रेरणा हमारा
यह शीश तेरे चरणों मे धर, सुधर रहा हूँ
ऊँचे तिरंगे झंडे, तेरे गीत गा रहा हूँ
तेरे गीत में छिपा जो, इतिहास गा रहा हूँ ।

रचनाकार
डॉ राजेश कुमार मंगला 'पार्थ'
पलवल, हरियाणा

Address
81/A , मोती कॉलोनी, पेट्रोल पम्प के पीछे, पुराने सोहना मोड़ के पास, पलवल, हरियाणा
Pin 121102

Mail - rajeshmangla2014@gmail.com

8683997722
आप सभी बहुत अच्छा लिख रहे हैं, आप सभी को बधाइयाँ
Vartika agrawal said…
तिरंगा

प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है जो उस देश के स्वतंत्र होने का संकेत है ।ये ध्वज ही हर राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है ।उसके गौरव व प्रतिष्ठा को दर्शाता है। हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है ,जो भारत का गौरव है और यह प्रत्येक भारतवासी के लिए महत्व रखता है ।
हमारा देश ,भारत विविध जातियों धर्मों और संस्कृतियों का देश है ।इसी प्रकार से हमारा ध्वज भी भिन्न-भिन्न भावनाओं को स्वयं में संजोया हुआ है, वह उनको ही दर्शाता है ।केसरिया रंग वीरता व शौर्यता को प्रकट करता है, सफेद रंग पवित्रता, त्याग ,भावना एवं शांति का प्रतीक है ।नीचे के भाग का हरा रंग हमारे देश की हरी-भरी धरती और संपन्नता को दर्शाता है ।ध्वज के मध्य सफेद पट्टी पर अशोक चक्र बना है ।जो धर्म विजय व प्रगति का द्योतक है ।
आजादी की 75वीं वर्षगांठ को यादगार पल बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने इसे आजादी का अमृत महोत्सव नाम दिया है व देश के वीर पुत्रों को हृदय से याद किया है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत प्रारंभ हो रही योजनाओं में से एक योजना "हर घर तिरंगा" है इसका मुख्य उद्देश्य जनता को तिरंगे का महत्व बताना है ।तिरंगे के सम्मान के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है। जनता में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करना है ।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज शांति ,प्रेम व एकता का प्रतीक है ।देश को आजादी दिलाने के लिए वीरों ने अपना खून पानी की तरह बहाया है और यह तिरंगा लहर-लहर के इसे पूरे संसार को सुनाता है ।भारत की धरती से लेकर नभ ,जल ,वृक्ष ,पौधों अपितु सब जगह से शहीदों के त्याग व प्यार की ही खुशबू आती है ।यह आज़ाद तिरंगा बहुत ही संघर्ष के पश्चात् हम हिंदुस्तानियों को प्राप्त हुआ है। आजादी से पहले कितनी ही बार विचारों को गुलाम बनाया गया है, शक्तियों को गुलाम बनाया गया है, रूढ़िवादी व अंधविश्वासी प्रथाओं को प्रभुत्व देकर गुलाम बनाया गया है। जात-पात से गुलाम बनाया गया है, इस गुलामी का कहीं अंत नहीं था और जब फिरंगियों ने इसका फायदा उठाया तो ,विस्फोट तो होना ही था। आखिर कब तक कोई दबाव में रहता है ।रानी लक्ष्मीबाई व मंगल पांडे ने गोरों को सामने से कड़ी चुनौती दी, उन्हें ललकारा ,जिसे पूरा हिंदुस्तान देख रहा था ,उनका जो भी हुआ ,मगर वह जाते-जाते अपनी रूह सबमें दे गए और उसका अंजाम यह हुआ कि कितने ही मंगल जन्म ले लिए और कितनी ही लक्ष्मी बाई जैसी शेरनियाँ भारत की धरती पर रूप धारण कर ली ।
आज भगत ,आज़ाद,राजगुरु, सुखदेव ,बैरागी और हर वो स्वतंत्रता सेनानी जिनका इतिहास में वर्णन नहीं है उनके त्याग व बलिदान को घर-घर याद करेगा ,आजादी का अमृत महोत्सव मनाएगा ।आज हर घर में तिरंगा लहराएगा ।

मैथिलीशरण गुप्त जी की कुछ पंक्तियाँ आज मैं पुनः दोहराऊंगी।

"जिसको न निज गौरव तथा
निज देश का अभिमान है
वह नर नहीं नर पशु निरा है
और मृतक समान है ।
जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं
वह हृदय नहीं है पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।"

स्वरचित व अप्रकाशित
वर्तिका अग्रवाल
वाराणसी
उ.प्र.

पता-N.12/304, J-20
शिवराज नगर कॉलोनी, तुलसीपुर, महमूरगंज, वाराणसी-221010
Email id-. agrawalvartika555@gmail.com
प्रतियोगिता के लिए मेरी रचना💐💐💐

उठा लो नाज तुम भी आज इस न्यारे तिरंगे का,
नवा कर शीश गाओ गीत इस प्यारे तिरंगे का।

कभी झुकने न पाये शान मिल कर आ शपथ लेलें,
सदा करते रहे गुणगान हम सारे तिरंगे का।

करें मिलकर सभी वो काम हम झंडा रहे ऊंचा,
ये दुनिया मे सदैव बुलंद हो तारे तिरँगे का।

यही ईमान हो अपना यही मजहब हमारा हो,
कभी अब हो न हिस्सा और बटवारे तिरँगा का।

रहे हम एक बनकर नेक इसकी छाँव की तल में
हिफाजत यह करेगा छोड़ न सहारे तिरँगा का।

वतन पे जाँ लुटाने रंग भगवा जोश जज्बा दे
सफेदी शांति दे पैगाम हरकारे तिरँगे का।

हरा खुशहाल हरियाली दिखाता मुल्क जन्नत है
नज़ारा खूब नीले बीच जाँ वारे तिरँगे का।
____________________ममता
**सोरठा छंद**

**आजादी का अमृत महोत्सव**

( १ )

देश हुआ आजाद , वीरों के बलिदान से ।
रखना है यह याद , भूल न जाना है इसे ।।
( २ )
खुशियों का यह पर्व , सभी मनाऍं साथ में ।
हमको इस पर गर्व , इस पर तन मन वार दें ।।
( ३ )
दिन स्वतंत्रता खास , आया है खुशियाॅं लिए ।
सबको है विश्वास , विकसित होगा देश अब ।।
( ४ )
मनें महोत्सव आज , भारत के हर गाॅंव में ।
खूब करें सब साज , आया है शुभ दिन बड़ा ।।
( ५ )
अमर तिरंगा हाथ , लेकर निकलें शान से ।
सबको अपने साथ ,जोश हृदय में हम भरें ।।
( ६ )
भारत वर्ष महान ,जग में इसका नाम हो ।
जन गण मन का गान, गूंज उठे संसार में।।
( ७ )
विश्व गुरू का ताज , फिर से माथे पर सजे ।
**राम**करें शुभ काज, भारत माॅं को कर नमन।।

**रचयिता**

**रामसाय श्रीवास"राम"(छग)**
Unknown said…
शीर्षक तिरंगा
मैं भारत हूं ,भारत मां!
मेरी खातिर करोड़ों बेटों ने दे दीअपनी जां
हम आज जो तिरंगे को लहरा रहे हैं,
स्वतंत्र राष्ट्र की स्वतंत्र धरा पर स्वतंत्रता से जो इसको फहरा रहे हैं।शीर्षक तिरंगा
मैं भारत हूं ,भारत मां!
मेरी खातिर करोड़ों बेटों ने दे दीअपनी जां
हम आज जो तिरंगे को लहरा रहे हैं,
स्वतंत्र राष्ट्र की स्वतंत्र धरा पर स्वतंत्रता से जो इसको फहरा रहे हैं।
इसके साथ जुड़ी है कहानियां अनेक।
उन असंख्य कहानियों की प्रतीक है यही झंडाएक,
तिरंगा है प्रतीक मेरे देश का, प्रतीक है यह खुशियों से भरे इस परिवेश का ।।
पर इसके इतिहास की कहानी सुनाती हूं आज,
जिन पर गर्व है मुझको,
करता हर भारतीय इस इतिहास पर नाज।।
देखा है मैंने इन्हीं आंखों से मेरे जवान बेटों की बलिदानी को, देखा है मैंने इन्हीं आंखों से बहनों के भाइयों की कुर्बानी को ।।
कल की ब्याही दुल्हन को सफेद वस्त्रों में देखा अगले दिन,
पति उसका नहीं आया वापस जी नहीं सकती एक पल जिसके बिन ।। हाथों की मेहंदी का रंग था अभी भी लाल ,
किस्मत ने क्या कर दिया उसके जीवन का यह हाल ।।
वादा करके गया था जो लौटूंगा वापस जरूर,
दुश्मन को खदेड़ जो है मक्कार और मगरूर ।।
चाहे तिरंगा हाथ में लिए या तिरंगे में लिपट कर ,
स्वागत करना तब मेरे गले लग या,मेरी मृत्यु पर सिसककर।।
मैं उन्हीं बेटों की अभागी माता, और क्या-क्या कथा सुनाउं।।
आज इसी झंडे के नीचे रोऊं,या आजादी की खुशियां मनाऊं।।?
उन भाइयों का स्मरण हो रहा है बारंबार ,
तिरंगा फहराने के स्वप्न को जो कर गए साकार।।
बहनों की रक्षा का जिन्होंने लिया था संकल्प,
सीमा पर कुर्बानी के सिवाय नहीं था जिसके पास कोई विकल्प।।
सिर्फ कुर्बानी थी प्रश्न के चारों विकल्पों में ,
आजादी ,सिर्फ आजादी थी उनके सारे संकल्पों में ।।
राह तकते रह गई बहन की राखी, चला गया वह भाई छोड़कर कितने अधूरे कार्य बाकी ।।
हर भारतीय बेटों से करती हूं ये आह्वान ,
सम्मान करोगे उन शहीदों की जो पति भाई होने से पहले थे देश के ए
करता हर भारतीय इस इतिहास पर नाज।।
देखा है मैंने इन्हीं आंखों से मेरे जवान बेटों की बलिदानी को, देखा है मैंने इन्हीं आंखों से बहनों के भाइयों की कुर्बानी को ।।
कल की ब्याही दुल्हन को सफेद वस्त्रों में देखा अगले दिन,
पति उसका नहीं आया वापस जी नहीं सकती एक पल जिसके बिन ।। हाथों की मेहंदी का रंग था अभी भी लाल ,
किस्मत ने क्या कर दिया उसके जीवन का यह हाल ।।
वादा करके गया था जो लौटूंगा वापस जरूर,
दुश्मन को खदेड़ जो है मक्कार और मगरूर ।।
चाहे तिरंगा हाथ में लिए या तिरंगे में लिपट कर ,
स्वागत करना तब मेरे गले लग या,मेरी मृत्यु पर सिसककर।।
मैं उन्हीं बेटों की अभागी माता, और क्या-क्या कथा सुनाउं।।
आज इसी झंडे के नीचे रोऊं,या आजादी की खुशियां मनाऊं।।?
उन भाइयों का स्मरण हो रहा है बारंबार ,
तिरंगा फहराने के स्वप्न को जो कर गए साकार।।
बहनों की रक्षा का जिन्होंने लिया था संकल्प,
सीमा पर कुर्बानी के सिवाय नहीं था जिसके पास कोई विकल्प।।
सिर्फ कुर्बानी थी प्रश्न के चारों विकल्पों में ,
आजादी ,सिर्फ आजादी थी उनके सारे संकल्पों में ।।
राह तकते रह गई बहन की राखी, चला गया वह भाई छोड़कर कितने अधूरे कार्य बाकी ।।
हर भारतीय बेटों से करती हूं ये आह्वान ,
सम्मान करोगे उन शहीदों की जो पति भाई होने से पहले थे देश के एक जवान।।
इस तिरंगे की शान बनाए रखना हमेशा ,
शपथ तो मुझे मान इसकी बढा़ए रखना हमेशा ।।
उत्सव मनाएंगे आजादी का अवश्य, लेकिन स्मरण रहे सदैव तिरंगे के पाने का रहस्य ।।
इसकी समृद्धि में दोगे सबका साथ,
हम होंगे कामयाब गुनगुनाओगे ये गीत हाथों में लेकर सब का हाथ।।


जय हिंद

नीता रानी साहू
मिडिल स्कूल भूथिया
सरायपाली जिला महासमुंद छत्तीसगढ़
🙏✍️
,
रश्मि सिन्हा “ शैलसूता”
ऑटवा, कनाडा
१०:३० सुबह
🌸🌸🌸🌸

ऐ आज़ादी के चाँद सितारों ,
हाथ जोड़ भारती खड़ी है ,
जमीं पर एक बार फिर से पधारो ।
🌸
अँधियारे मन में सघन बढ़े हैं,
मद माती कालिमा से लगन चढ़े हैं,
चमचमाती रोशनी वाली प्रकाश उतारो ।
🌸
दिन छोटे यहाँ रात है लम्बी ,
भोग विलास संग नाचे है नंगी,
वेद ऋचा को तुम फिर से पुकारो ।
🌸
आओ आओ हे महामानव आओ ,
फिर से भारत के धर्म को निबाहो ,
बलैया लेकर भारत को तारो ।
🌸
हस्ती मातृभूमि की बिलख रही है ,
भक्ति दीवानों को परख रही है ,
मन की ग़ुलामी से इसको उबारो।
🌸
बँट रहा प्रान्त नगर सब है ,
बढ़ रहा शोर ग़दर अब है ,
अलगाव की तुम भुजा को उघारो।
🌸
समय तुम्हें बांध नहीं सकता ,
फ़रेब दिवार लाँघ नहीं सकता ,
सुधी सिखाकर हिन्द को सुधारो ।
🌸
हर युग में तुम्हीं शक्ति बन आते ,
वतन को मातृभूमि की भक्ति सिखाते ,
“रश्मियों” की तुम सुन लो गुहारें।

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

स्वरचित ,मौलिक और अप्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित
🙏

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