*✍राष्ट्रीय मासिक ब्लाग आधारित प्रतियोगिता- सितम्बर 2022✍*
*हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में नि: शुल्क लेखन प्रतियोगिता*
आपको जानकर अतीव प्रसन्नता होगी कि *काशी साहित्यिक समूह व IonicQuote के तत्वावधान में *राष्ट्रीय मासिक प्रतियोगिता ब्लाग आधारित 2022* का आयोजन किया जा रहा है।
*सभी रचनाकारों को सम्मान- पत्र से पुरस्कृत किया जाएगा। *
*सर्वश्रेष्ठ रचनाओं को काशी साहित्यिक समूह के मासिक ई- पत्रिका में प्रकाशित करवाया जाएगा। जो पूर्णतया नि: शुल्क होगा ।*
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*Web news yuva pravartak*
*Swatantrata Dastak daily news paper*
प्रतियोगिता की शर्तें:-*
1. आपकी रचना *देवनागरी लिपि* में टंकित होनी चाहिए।
2. दिए गए विषय पर सभी प्रकार की *गद्य-पद्य सकारात्मक* रचनाये मान्य है।
3. रचना में किसी भी प्रकार के *अश्लील,असामाजिक व राष्ट्र विरोधी* शब्द नही होने चाहिए और *न ही इससे सन्दर्भित कोई रचना* मान्य है।
4. एक रचनाकार केवल *एक ही रचना* भेज सकता है।
5. रचना की उत्कृष्टता के आधार पर विजेताओं का चयन *काशी साहित्यिक समूह व Iconicquote की टीम* करेगा।
6. चयन पैनल का निर्णय *सर्वमान्य* होगा।
7. रचना के नीचे रचनाकार की सामान्य जानकारियां जैसे- नाम, सम्पर्क सूत्र,ई-मेल आदि अवश्य लिखी होनी चाहिए।
8. रचना भेजने की अंतिम तिथि:.*13-9-2022 से 14-9-2022* है,उसके बाद किसी भी रचनाकार की रचना स्वीकार नही की जाएगी।
9. *विजेताओं की घोषणा* *20 सितम्बर 2022* को हमारे समूहों में की जायेगी l
10. प्रतियोगिता का विषय *खुलकर बोलों हिंदी* होगा। इसके अलावा अन्य किसी भी विषय पर रचनाएँ स्वीकार नहीं की जायेगी।
11. रचनाएँ *Admin Pannel* को अवश्य टैग करें ।
21 Comments
हमारा मान है हिंदी,
हमारी शान है हिंदी।
बने पहचान भारत की,
हमारी जान है हिंदी।
बिना इसके अधूरी सी,
लगे ये ज्ञान की गागर।
बिना इसके नहीं मुमकिन,
पा सको ज्ञान का सागर।
प्रसारित हो जगत भर में,
यही अरमान है हिंदी।
बने पहचान भारत की,
हमारी जान है हिंदी।
सभी को एक धागे में,
पिरो कर रखे है ऐसे।
अनेक रंगों के मोती,
जुड़े इक हार में जैसे।
विचारों को करे पोषित,
हमारी आन है हिंदी।
बने पहचान भारत की,
हमारी जान है हिंदी।
छिपे हैं भाव के मोती,
इसके अक्षर-अक्षर में।
फूॅंकती प्राण है ये तो,
एक निर्जीव पत्थर में।
है श्रद्धा से नमन इसको,
गुणों की खान है हिंदी।
बने पहचान भारत की,
हमारी जान है हिंदी।
हमारा मान है हिंदी,
हमारी शान है हिंदी।
बने पहचान भारत की,
हमारी जान है हिंदी।
मीनेश चौहान "मीन"
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
हिंदी है माथे की बिंदी
भारत मां की पहचान है
हिंदी के बिन सूना लगता
मेरा हिंदुस्तान है
सूर मीरा की पहचान है हिंदी
कैसे कान्हा माखन खाते
कैसे मीरा प्रीत निभाती
जनक नंदिनी की वरमाला
कैसे तुलसी हमें बताते
ढाई आखर प्रेम की बातें
कबीरा हमें सिखाते हैं
हिंदी सब भाषा का मूल है
भारतेंदु हमें बतलाते हैं
प्रताप नारायण मिश्र का नारा
हिंदी हिंदू हिंदुस्तान
नानक पंत कबीर की वाणी
सुनकर भारत बना महान
प्रसाद निराला दिनकर ने
हिंदी का परचम लहराया है
महादेवी की विरह वेदना
हिंदी हम तक पहुंचाया है
आओ मिलकर अलख जगाएं हिंदी को जन-जन तक पहुंचाएं हिंदी हम सब की पहचान है
हिंदी हमारी जान है
अंजनी त्रिपाठी गर्ग
गोरखपुर उत्तर प्रदेश
स्वरचित मौलिक
12/9/2022
भारत की शान है हिन्दी।
देश की पहचान है हिन्दी।
मधुर है हिन्दी भाषा।
सरल है हिन्दी भाषा।
हिन्दुस्तान की जान है हिन्दी।
देश का अभिमान है हिन्दी।
संस्कृति का मेल है हिन्दी।
संस्कार का श्रृंगार है हिन्दी।
भाषाओं का बादशाह है हिन्दी।
विश्व मे पहचान भाषा है हिन्दी।
हीरे जैसा अक्षर।
सोने जैसा सुंदर।
गर्व है हम भारत देशी वासी है।
गर्व है हम हिन्दी बोलने वाले है।
जि.विजय कुमार
हैदराबाद, तेलंगाना
हिंदी गौरव है भारत का
विश्व भावना इसमें पलती
हिंदी पहचान दिलाती भारत को
हिंदी की बिंदी से पूर्णता मिलती
मिलाती सभी के दिलों को
मन में नयी अभिलाषा भरती
विश्व में सम्मान मिला हिंदी को
यह नित नयी परिभाषा गढ़ती
ग्रहण करने से हिंदी को
मन की सभी जिज्ञासा मिटती
भरे सदा ज्ञान के भंडार को
विश्व में हमारा मान बढ़ाती
पूर्ण करो संकल्प, दूर करो अंग्रेजी को
हिंदी ही रग-रग में बहती
प्रतिदिन मनाए हिंदी दिवस को
यही माँग सबके मन में उठती
हिंदी गौरव है भारत का
विश्व भावना इसमें पलती
डाॅ. राधा दुबे, जबलपुर, मध्य प्रदेश
स्वरचित, मौलिक व सर्वाधिकार सुरक्षित रचना
#शीर्षक हिन्दी
हिन्द की बेटी हैं हिन्दी,
है भारत माँ के माथे की बिन्दी ।
है ये राष्ट्रभाषा हमारी
भिन्न- भिन्न धर्मो को एक सूत्र में पिरोती
भावनाओं के संचार का माध्यम बनती
है ये जन जन को प्यारी
पर आज अंग्रेजी है सौतन बन,
घर इसके घुस आई ।
अंग्रेजी बोलने का चल पड़ा फैशन
आज हिन्दी के घर
अधिकार जमा बैठी इसकी सौतन ।
साल में एक बार "हिन्दी दिवस" हम मना लेते।
कल से फिर अंग्रेजी में हाय हैलो की रट लगा देते ।
क्यों नहीं बदलती हमारी मानसिकता ?
माना अंग्रेजी है अन्तरराष्ट्रीय भाषा
पर हिन्द में इसका नम्बर
हिन्दी के बाद ही आता ।
हिन्दी बोल करें गर्व हम
इसे कभी ना समझे अंग्रेजी से तुच्छ हम ।
ये हमारी है अपनी संस्कृति
सदियों से साथ सफर है करती।
है ये तो बिलकुल अपनी
अगर करते हैं अपने देश को प्यार हम
तो हिन्दीं को दे सभी भाषाओं के शिखर में
सर्वश्रेष्ठ स्थान हम ।।
.( १४ सितम्बर)
हिन्दी दिवस पर सभी को ढ़ेर सारी शुभकामनाओं के साथ
निवेदिता सिन्हा , भागलपुर (बिहार)💐💐💐💐
,🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐💐
घनाक्षरी
हिंदी अपनी है प्यारी, हर भाषा में है न्यारी,
जय वासी बलिहारी ,बोली हिंदुस्तान की ।।
मातृभाषा प्रिय हिंदी ,खेले खेल एक बिंदी ,
बोली में बसे आनंदी ,भाषा अभिमान की ।।
हिंदी से जिसे शर्म है ,बातें भी बड़ी गर्म है ,
कभी न जिह्वा नर्म है,छवि न दे ज्ञान की ।
वंदे मातरम् करूँ,अंजुलि भाव से भरूँ,
नहीं किसी से मैं डरूँ,हिंदी हिंद शान की।।
वर्तिका अग्रवाल
वाराणसी
उ.प्र.
बिखरे शब्दों को जोडकर
हिंदी ने गीतों की माला बनाई
हिंदी की मीठी बोली ने
विश्व में हमें पहचान दिलाई
एक धागे से जोड़ सभीको
अपनेपन की ज्योत जगाई
हिंदी के मीठे शब्दों ने
दूरी सभी के मन की मिटाई
हिमालय जैसी हो
हमेशा हिंदी की ऊँचाई
सागर सी बनी रहे
सदा हिंदी की गहराई
धरती से लेकर अंबर तक
बस हिंदी ही दे सुनाई
माँ जैसी ममता है इसकी
इसे लेकर करे ना कभी लड़ाई
एक बने रहो आपस में
बात ए हिंदी ने हमें सिखाई
हिंदी के प्रेरणा भरे शब्दों ने
राह सफलता की हमें दिखाई
*हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ*
*पुनम सुलाने-सिंगल,जालना,महाराष्ट्र*
_________________
क्लिष्ठ संस्कृत कालांतर में,
बन बंगाली कन्नड़ उड़िया,
पंजाबी सिंधी गुजराती,
मलयालम तेलगु असमिया।
राजस्थान, मराठी नेपली,
अवधि ब्रज,गोंडी भोजपुरी,
हरियाणा कश्मीरी कुमांयू,
बनारसी गोंडी छत्तीसगढ़ी।
संस्कृत से ही भाषा उपजी,
भाषा से उतपन्न हो बोली,
बोली की ध्वंश रूप बानी ,
बानी सबसे छोटी भोली।
लोक कहावत है इक वैसे ,
कोस कोस में बदले पानी,
कितने ठीक कहा करते है,
दस कोसन में बदले बानी।
संस्कृत की सब उद्भिज भाषा,
ले कुछ शब्द लगायीं बिंदी,
तब सुंदर इक भाषा निकली,
खुश हो नाम रखे सब हिंदी।
कालांतर मुगल आए भारत,
भाषा देश संस्कृति अनजानी,
हिंदी में संस्कृत कठिन शब्द ,
बोल न पाए थी परेशानी ।
हिंदी मिला अरबी फारसी,
उर्दू बन गयी नयी भाषा,
फिरंगी कॉकटेल बना फिर,
हिंदी बनी हिंग्लिश तमाशा।
हिंदी का दिल बहुत बड़ा है,
आत्मसात सब ही भाषा की,
यह सहज सरल सरस् सलिल सी,
बहती बनी राज भाषा भी ।
______________
ममता तिवारी "ममता"✍️
छत्तीसगढ़
हिंदी पढ़े पढ़ाएं
*************
राष्ट्रभाषा हिंदी अपनाओ ,
हिंदुस्तानी होने का धर्म निभाओ।
क्यों अंग्रेजी बोल के,
खुद को समझते महान?
जरा ये तो सोचो,
कितने संघर्ष कर,
वीरों ने हिंदुस्तान को
आजाद करवाया ।
क्यों बने हो अंग्रेजी के गुलाम?
अंग्रेज हिंदुस्तान छोड़ गए,
जाते जाते,अंग्रेजी का बीज,
हिंदुस्तान में बो गए।
बीज बना अब बड़ा वृक्ष,
सर चढ़ के बोले अंग्रेजी,
आज की पीढ़ी ,अंग्रेजी बोलना,
शान समझने लगी।
हिंदी से शर्माने लगे लोग,
ये देख,हिंदी का कलेजा
हो रहा छलनी,
क्यों हिंदी राष्ट्रभाषा हो कर भी,
कोने में खड़ी देख रही,
अंग्रेजी को फलते फूलते।
आओ हिन्दी अपनाएं,
हिंदी पढ़े ,पढ़ाएं,
अपने राष्ट्रभाषा का मान बढ़ाएं।
( स्वरचित)
सविता राज
मुजफ्फरपुर बिहार
*****************
हिंदी मेरी पहचान
हिंदी हमारी संस्कृति इसी में व्याकरण,
देश के दुलारी बना हमारा आचरण,
आधुनिक युग में अंग्रेज़ी का भी करें मान,
किसी भी क़ीमत पर न करें हिन्दी का अपमान
हर हिंदुस्तानी का गौरव है हिन्दी,
हम सब की पहचान है हिन्दी,
कभी तेरा अपमान न हो हिन्दी,
आज मातृभूमि की शान है हिन्दी,
हिंदी है हमारी जिन्दगानी,
तभी तो पहचाने जाते हम हिन्दुस्तानी
कवियों की कविता लेखकों की कहानी
बच्चे,जवान,बूढ़ों की भाषा जानी पहचानी,
एकता का प्रतीक है हिन्दी,
भारतीयों के माथे की बिंदी है हिंदी,
जीवन की परिभाषा है हिन्दी,
हमारे वाणी का वरदान है हिन्दी,
मंजू रहेजा
हिंदी युगों युगों से, पहचान है हमारी,
अभिमान है हमे की हम बोलते है हिंदी,
अपने रगो रगो में हम घोलते है हिन्दी,
कहते है गर्व से हम ऐ जान है हमारी,
हम हिंद के निवासी........
हिंदी का लेख मिलता वेदों पुराणों में भी,
हर शब्द शब्द खिलता बीते जमानों में भी,
चैतन्य सनातन में महिमा है इसकी भारी,
हम हिंद के निवासी.......
कबीरा के हर कला का गुणगान मेरी हिंदी,
कविता के हर कड़ी का रसखान मेरी हिंदी,
वर्णन करे क्या कोई हर शब्द की खुमारी,
हम हिंद के निवासी ........
हम हिंद के निवासी, हिंदी हमे है प्यारी,
हिंदी युगों युगों से, पहचान है हमारी,
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
#hindidiwas #hindipoytri #sphindustani
"हिन्दी - मेरी मैया"
सलोनी चावला
(सलोनी चावला ने की - 'हिन्दी भाषा' की 'माँ' से समानता)
हिन्दी तो भाषा है, क्यों कहें इसे हम अपनी मैया,
सिर्फ मैया ! न पिता, न बहन, न भैया ?
मैं बताती हूं क्यों कहें इसे हम अपनी मैया।
मां के भीतर होती संरचना, एक मानव की, वैज्ञानिक रूप से,
तो बनी है यह हिंदी भाषा भी, पूरे वैज्ञानिक रूप से।
तो क्यों न कहें हम हिन्दी भाषा को अपनी मैया !
यह वह भाषा है जहाँ 'स' - 'स' है और 'क' - 'क' है।
यह विज्ञान है - यहाँ 'अ' - 'अ' है और 'आ' - 'आ' है।
हर स्वर, हर व्यंजन की एक अलग स्थगित पहचान है,
जैसे सब रिश्तों में माँ की एक अलग स्थगित पहचान है।
तो क्यों न कहें हम हिन्दी भाषा को अपनी मैया !
हिन्दी वह भाषा नहीं, जहाँ कुछ अक्षर लिखे तो जाएँ, पर बोलने में हो जाएँ लुप्त - गुप्त,
हिन्दी, माँ की तरह पारदर्शी है, एक आईना है - ना कुछ गुप्त, ना कुछ लुप्त।
तो क्यों न कहें हम हिन्दी भाषा को अपनी मैया !
हिन्दी गणित है, यहाँ दो और दो चार है, तो हम रास्ता भटकेंगे क्यों ?
किसी भी शब्द का उच्चारण किसी से भी पूछेंगे क्यों ?
माँ हमें सही राह दिखाती है, और डगमगाने नहीं देती,
हिन्दी भी हमें सही उच्चारण देती है, डगमगाने नहीं देती।
तो क्यों न कहें हम हिन्दी भाषा को अपनी मैया !
सदस्यों को एक - दूसरे से जोड़ कर, माँ एक प्यारा परिवार बनाती है,
और अक्षरों की सन्धि कर के, हिन्दी भाषा खूबसूरत शब्द बनाती है।
रिश्तों को जोड़ने की कला जैसे माँ में है,
अक्षरों की सन्धि की कला हिन्दी भाषा में है।
तो क्यों न कहें हम हिन्दी भाषा को अपनी मैया !
हिन्दी भाषा में समाए हैं माँ के सब गुण,
क्या गणित, क्या विज्ञान, क्या कला के गुण !
तो क्यों न कहें हम हिन्दी भाषा को अपनी मैया !
जी हाँ हिन्दी हमारी मैया है,
हिन्दी भाषा को प्रणाम, जय हिन्दी !
रचयिता : सलोनी चावला
(यह कविता काव्य हिन्दुस्तान अंतरराष्ट्रीय साहित्य समूह के विराट जूम कवि सम्मेलन में 15 सितंबर, 2021 को प्रस्तुत की गई तथा अध्यक्ष महोदय, श्री सुनील दत्त मिश्रा जी द्वारा काफी सराही गई।)
#हिंदी
आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!!
जैसा की सर्वविदित है आज के युग में हिंदी ने विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
आज भी हमारे यहां के हिंदी में लिखें ग्रंथों का अनुवाद विश्व के अनेक भाषा विदों ने उसका अनुवाद अपनी भाषा में किया है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस है...
कहीं ना कहीं इसका श्रेय आज का बढ़ता इंटरनेट का युग रहा है और होना भी चाहिए क्योंकि विश्व में हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जो जैसी लिखी जाती है वैसे ही बोली जाती है।
किंचित मात्र इसमें कोई संशय नहीं है"
हम लोग बचपन से ही हिंदी भाषा के प्रेमी रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि आज भी हमने अपनी इस भाषा को संजीव कर रखा है
हिंदी भाषा अपने आप में एक पूर्ण भाषा है और इसकी सबसे बड़ी विशेषता है
यह अन्य सभी भाषाओं को उनके शब्दों को अपने में समाहित करने की क्षमता रखती है आज इस डिजिटल युग में भी जहां पर लोग अंग्रेजी पढ़ने बोलने वाले को ज्यादा आधुनिक समझते हैं परन्तु यह उनकी भूल है क्योंकि किसी भी भाषा का जानकार यह साबित नहीं कर सकता कि हमारी भाषा से अन्य भाषा उत्कृष्ट है ..जब तक कि उसका उस भाषा पर पूरा ज्ञान न हो।
क्योंकि भाषाओं की जननी संस्कृत से मानी जाती है युगों युगों से चली आ रही अमर भाषा रही है और संस्कृत की सबसे नजदीकी भाषा सर्वप्रथम हिंदी आती है यह दूसरी अमर भाषा कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है!!
कहीं-कहीं हमारे देश में आज के नई पीढ़ी के बच्चों द्वारा जब अपनी हिंदी का उपहास सुनने को मिलता है!!
तो मन बड़ा क्षुब्ध हो जाता है कहीं न कहीं यह सोचनीय है...
क्योंकि किसी राष्ट्र की महानता की पहचान उसके संस्कार की पहचान उसके अपने राष्ट्रभाषा से होती है और जिस देश की राष्ट्रभाषा जितनी सशक्त है वह देश अवश्य ही प्रगति के पथ पर हमेशा अग्रसर रहेगा!!
और बहुत सारे भारतीय विद्यालयों में भी हिंदी विषय पर जोर देने की महती आवश्यकता है।
आज विश्व हिंदी दिवस है सारे देश में ही नहीं पूरे विश्व में हिंदी ने अपना जो परचम लहराया है यह हम सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है और हिंदी की सबसे बड़ी या विशेषता है किसका वर्णमाला
अ से शुरू होता है जिसका आशय होता है अनपढ़ और वर्णमाला का आखरी व्यंजन "ज्ञ" होता है ।।
जो हमें ज्ञानी बना के छोड़ता है है ना कितनी कमाल की बात !!
अतः हम सभी मिलकर के अपनी इस भाषा को आगे ले जाने हेतु और इसका प्रचार प्रसार करने के लिए युवाओं को आगे आकर ज्यादा से ज्यादा अपनी बात हिंदी में ही करें!!
और हिंदी की विशेषताओं के बारे में नई पीढ़ी को अवश्य ध्यान दें जानकारी देने की आ सकता है।
हिंद की शान बढ़ाती है हमारी हिन्दी,
हर एक जहां से अनोखी ये है प्यारी हिंदी!
अ अनपढ़ से ज्ञ ज्ञानी बना देती है,
सभी दिलों में बन रहती है दुलारी हिंदी!!
धन्यवाद!!
अभिषेक मिश्रा
बहराइच
उत्तर प्रदेश
केशव के उलझे-सुलझे से, उजले केशों वाली हिंदी ! तय तय
धुनिया निर्गुनिया की साखी, के संदेशों वाली हिंदी !!
तब की हिंदी, अबकी हिंदी,सबकी हिंदी, हिंदी, हिंदी !!!
श्रीधर मधुकर,सुकवि चंद बरदायी,
जगनिक,आल्ह-नाल्ह की ओज बड़ाई.
नीति-प्रीति,प्रतिद्वंद्व,सामरिक कविता,
आदिकाल की भाषा,वाणी-सरिता.
"जित-जित चलै कृपाण नृपति की...
वैरी दल-बल चिंदी-चिंदी !
युद्धक,हिंदुकी/हिंदुवानी थी,यशोगान-आनन बिंदी!!
तब की हिंदी,अबकी हिंदी, सबकी हिंदी, हिंदी, हिंदी!!!
भक्तिकाल का निर्गुण सगुणोपासन,
धर्मदास, रैदास,मुगलई शासन.
नबी,जायसी,मंझन,कुतुबन,कासिम,
नानक,दादू,सूफी कवि,रब-खादिम.
मीराबाई, हरिदास,राम आनंद, श्याम -रस-आनंदी!
तुलसी,रहीम, रसखान,सूर, अवधी गंगा,ब्रज कालिंदी!!
तबकी हिंदी, अबकी हिंदी, सबकी हिंदी, हिंदी, हिंदी, हिंदी!!!
पद्य कामिनी के नख-शिख की सज्जा,
रीतिकाल की रीति,लजाई लज्जा.
अलंकार,रस,छंद, नायिका -नायक,
सतसैया के दोहे,नावक-सायक.
पद्माकर, गिरधर,वृंद,देव,भूषण,सूदन जैसे छंदी!
भरते ही रहे वर्ण-सागर,कर तुकबंदी,तुक-कारिंदी!!
भारतइंदु,खड़ी बोली -निर्माता,
महावीर संशुद्ध,गद्य के दाता,
पंत, प्रसाद, निराला छायावादी,
देते रहे प्रगत्य-छंद-आजादी.
मुंशी,गर्दे,टंडन जी ने ,भाषा की भित्ति सुदृढ़ चिन दी!
नागर,दिनकर, मैथिली शरण ने, साहित्यिक गिनती गिन दी!!
तबकी हिंदी, अबकी हिंदी, सबकी हिंदी, हिंदी, हिंदी!!!
चव्वालिस अक्षर हिंदी -माला के,
तैंतिस व्यंजन इस भोजनशाला के.
एकादश स्वर हैं, फिर भी कुछ गूंगी,
चेतना विदेशी नागिन ने सूंघी.
देशज भाषाएं,मान-योग्य, गुरुमुखी,तमिल,उड़िया,सिंधी!
पर परदेसी भाषा त्रासद,जिसने हिन्दी -विरोध-घिन दी!!!
तबकी हिंदी, अबकी हिंदी, सबकी हिंदी, हिंदी, हिंदी!
सच्चिदानन्द तिवारी शलभ
मोबाइल नंबर -7007959446
हिंदी की रसधारा
********************
हिंदी भारत की बिन्दी है,
हो वर्तमान का सत्य सरल,
सुंदर,सहज हिंदी जनकल्याणी
हिंदी हिंदुस्तान की बोली पनपने दें,
यही माध्यम है,यही शान है अपनी
यही गौरव है स्वाधीन भारत महान की
लेखन और लिपि प्रक्रिया वैज्ञानिक
ध्वनि का अद्भुत समायोजन इसमें,
आगत शब्दों की पाचन शक्ति इसमें,
इसीसे समृद्ध ,सरल,प्रवाह गति इसमें,
हिंदी की गंगा को मगही ,मैथिली भोजपुरी
व्रज,अवधी अन्य छोटी-छोटी नदियोंसे
अद्भुत खजाना संपदा समृद्धि पाई,
इस समय प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री
विश्व में हिंदी की पताका फहरा रहे,
सर्वोच्च शिखर पर पहुंच चुकी है हिंदी,
सकल विश्व में धर्म ,संस्कार,संस्कृति गान
सेवा,शौर्य,क्षमा, अहिंसा ,मान-सम्मान
हिंदी अपनी रसों की सरस बयार,
आत्म गौरव से सदा जुड़ी हमारी हिंदी
लोकार्पण की घड़ी भाव में हम सब करें
राज भाषा,राष्ट्र भाषा शीघ्र बने हमारी हिंदी!
(स्वरचित)
____डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुज्जफरपुर बिहार
**********************
हिन्दी है हमारी मातृभाषा,प्यारा,
ओर सब भाषाओं से है दूलारा,
सहज,सरल,है बोलचाल,लेखन,
जनता का पसंदीदा भाषा,सुमन।।।
निज भाषा होता सकल उन्नति के मूल
जिसके बुते होता परिवर्तन,आमूलचुल
कवि,लेखक,काहानीकार,गीतकार,
भारत में हिन्दी का बोलबाला,मुरार।।।
हिन्दी भाषा भारतका भाल,बिन्दी,
सुशोभित,सुमंड़ित,सुसज्जित,आदि,
रामायण,महाभारत,गीता,उपनिषद,
प्रायतः धर्मग्रन्थ हिन्दी में लिखित।।।
चाहे भारत का मध्यप्रदेश,हरियाणा,
हिन्दी में होता पठन-पाठन,बोली-धन
अंग्रेजी भाषा है देन पाश्चात्य,सभ्यता,
हिन्दी,संन्सृत है भारत का पहचान।।।
जबतक रहेंगे चांद,सितारा,नीलाम्बर,
हिन्दी रहेगा अजर,अमर,सम उपहार,
नहीं कोई दुजा भाषा में इतना माधुर्य,
"हिन्दी दिवस"पे जय हिन्द,जय हिन्दी।।।
प्रेषिका,श्रीमती अरुणा अग्रवाल,
लोरमी,जिला-मुंगेली,छःगः,
✍✍👏
हिन्दी दिवस ब्लाग प्रतियोगिता
दिनांक_14-09-22
शीर्षक- खुलकर बोलो हिन्दी
हिन्दी हमारी जन-जन को पुकारती.
नखशिख वरती है जुबां माँ भारती.
श्रृंगार इसका माथे के बिंदी.
वरण करे जब शब्दों का हिंदी.
बनती देवनागरी जो हमको निखारती..
नखशिख----------------------------
*******************************
सूर रैदास सब इसके बखानी.
तुलसी रहीम भी इसके हैं ज्ञानी.
महादेवी भी इसकी महिमा बयानती....
नखशिख---------------------
***************************
हिन्दी हमारी जन-जन को पुकारती..
नखशिख वरती है जुबां माँ भारती....
@✍️ श्रीमती सरिता तिवारी
जबलपुर मध्यप्रदेश
🎧9179102242
हिन्दी हमारी राष्ट्रीय भाषा,
गंगा से भी प्रबल है तेरी धारा।
हिन्दी तूझ पर नाज है हमें,
तूझ पर ही टीका है भविष्य देश का।
हिन्दी मन कि अज्ञानता को हरे,
प्रकाशित ज्ञान मानव हृदय में भरे।
अंधकार मिटाकर रोशनी से भरे,
पुँज-ज्योति समर्पण करे।
हिंसा मानव के मन से हरे,
प्रेम की बस गागर भरे।
हमारी अच्छाई को है बोले,
सकारात्मकता के द्वार खोले।
हमें नेकता की राह देकर,
मानव धर्म की सेवा पाकर।
सद्भावना का मार्ग खोजना,
हिन्दी से बस राह बनाना।
बनी जो गौरवमयी माता भारत की,
भारत के आजादी के मतवालों की।
तेरा उद्देश्य था जो एक एक जय,
विदेशी पर स्वदेशी की विजय।
इसलिए तू बनी वह स्थायी भाषा का तत्व,
जिसके द्वारा मिला तूझे विजयादशमी से अधिक महत्व।
-भूमिका शर्मा
शिक्षिका और लेखिका
ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
दिनांक: १४/०९/२०२२
कविता का विषय: हिंदी दिवस।
हम सभी के राष्ट्रभाषा का जन्मदिन आया है,
अद्वितीय हिंदी दिवस का दिन हमारे सामने आया है।
१४ सितंबर १९५३ को यह दिवस मनाया गया था,
तभी से इस दिन को हिंदी भाषा का दिवस घोषित किया गया था,
यह है सभी के मन को व्यक्त करने की भाषा,
विभिन्न लोगों में एकता लाती है यह भाषा।
इस भाषा की अपनी ही अलग है बात,
क्योंकि इस भाषा में हैं जज़्बात,
हर कोई आसानी से बातों को समझ सकता है,
और सामने वाले को समझा सकता है।
तरह तरह के कार्यक्रमों का इस भाषा के ज़रिए आयोजन किया जाता है,
स्कूल,कॉलेज और कार्यालयों में इसका इस्तेमाल किया जाता है,
लेखकों और कवियों के लिए कहानियां और कविताएं लिखने में यह भाषा अहम भूमिका निभाती है,
साहित्य लोगों को समझाने में भी यह भाषा मददगार साबित होती है।
लेकिन आज लोग इस भाषा का नहीं करते हैं इस्तेमाल,
सिर्फ मनोरंजन में करते हैं इस्तेमाल,
ज़रूरी है यह समझना कि यह भाषा हमारी भाषा है,
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है।
शुक्रिया!
-कवि मकरंद रमाकांत जेना-