प्रथम,द्वितीय, तथा तृतीय आनें वालें प्रतिभागी की रचना हमारी संस्थान की तरफ से आनें वालीं किताब " प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (अद्वितीय व्यक्तित्व) में नि:शुल्क प्रकाशित की जाएगी... तथा अन्य सभी प्रतिभागियों को ई- सर्टिफिकेट से सम्मानित किया जाएगा...
प्रतियोगिता की शर्तें:-
1. आपकी रचना *देवनागरी लिपि* में टंकित होनी चाहिए।
2. दिए गए विषय पर सभी प्रकार की *गद्य-पद्य सकारात्मक* रचनाये मान्य है।
3. रचना में किसी भी प्रकार के *अश्लील,असामाजिक व राष्ट्र विरोधी* शब्द नही होने चाहिए और *न ही इससे सन्दर्भित कोई रचना* मान्य है।
4. एक रचनाकार केवल *एक ही रचना* भेज सकता है।
5. रचना की उत्कृष्टता के आधार पर विजेताओं का चयन *काशी साहित्यिक संस्थान* करेगा।
6. चयन पैनल का निर्णय *सर्वमान्य* होगा।
7. रचना के नीचे रचनाकार की सामान्य जानकारियां जैसे- नाम, पूरा पता पिन कोड के साथ, सम्पर्क सूत्र,ई-मेल आदि अवश्य लिखी होनी चाहिए।
8. रचना भेजने की अंतिम तिथि:.15-8-2023 रात्रि दस बजें तक है,उसके बाद किसी भी रचनाकार की रचना स्वीकार नही की जाएगी।
9. *विजेताओं की घोषणा* *18-8-2023* को हमारे समूहों में की जायेगी l
10- रचनाएँ यही कमेंट बॉक्स में ही प्रेषित करें ।
10 Comments
यहां की फिज़ाओ में सांस ली है मैने,
इस ज़मीन पर नमाज़ अदा की है मैने।
मेरे चमन को गुले बहार रहने दो,
मेरे देश को भारत रहने दो।
इस्लामिक देश हिंदू राष्ट्र नही चाहिए,
आतंकवाद इस धरा पर नही चाहिए।
इस ज़मीन पर बस अमन रहने दो,
मेरे देश को बस भारत रहने दो।
एक ही मां की संतान है सब,
एक ही ईश्वर को मानने वाले है सब।
उनके नाम बेशक अलग-अलग रहने दो,
खूबसूरत है ये देश तभी तो सबको पसंद आता है।
इसकी खूबसूरती में जहरीला हवा मत बहने दो,
मेरे देश को तुम भारत रहने दो।
मेरे देश को तुम भारत रहने दो।
जो बात नफ़रत पैदा करे उसे अपने पेटों में ही रहने दो,
अपना हिंदोस्तान गुलों से गुलशन है इसे बाग ही रहने दो।
मुझे किसी से डर नही लगता भारत मां का बेटा हूं उसकी जय-जयकार कहने दो
मेरे देश को तुम भारत ही रहने दो।
मुझे चुप ना करना आज में कहने आया हूं मुझे कहने दो
मेरे देश को नफ़रत से ना कांटो ये भारत है उन शहीदों का -
जवानी ठीक से शुरू भी नही हुई थी और चूम लिया था फांसी का फंदा भगत सिंह ने,
दुश्मनों से घिर जाने पर चंद्रशेखर आज़ाद ने ठोक ली थी गोली अपने सिर में।
अशफ़ाक उल्लाह साहब को सलामी देने दो,
मेरे देश को तुम भारत ही रहने दो।
मेरे देश को तुम भारत ही रहने दो।
मेरे देश को तुम भारत ही रहने दो।।
🙏🇮🇳🙏
अज़हर आज़ाद खान
(दास्तान-ए -जज़्बात)
पता - गुम्मट देवरी रोड आगरा-282001
मोबाइल/व्हाट्सएप-8791540402
ईमेल-azhargrtkhan@gmail.com
तिरंगा लहरा रहा।
हम सबको याद दिला रहा।।
आजादी के वीर सपूतों के लिए।
हम सभी को यह एहसास कर रहा।।
अदम्य साहस का परिचय दिए हैं।
उन वीर सपूतों को नमन कर रहे हैं।।
आज का पावन दिन आया है।
गर्व से सीना फुलाया है।।
उत्तर से लेकर दक्षिण तक।
पूरब से लेकर पश्चिम तक।।
गांव-गांव गली-गली नगर ।
के हर चौराहे तक।।
वंदे मातरम् गूंज रहा।
वंदे मातरम गूंज रहा।।
डॉ राम शरण सेठ
छटहाॅं मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
8299654136
*मैं भारत माँ की बेटी हूँ*
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"मैं भारत माँ की बेटी हूँ,
मैं नाज इस पर करती हूं।
मेरा *भारत* है प्यारा,
है विविधताओं से भरा,
प्राचीन इसकी *सभ्यता*,
है *सांस्कृतिक विरासत* से भरा।।
है *राम -कृष्ण* की पावन भूमि,
महात्मा *बुद्ध* की कर्म स्थली,
यहाँ हर *धर्म* लगता प्यारा,
दिखती *अनेकता में एकता*।।
है *भरत* जी की पावन धरा,
*कश्यप ऋषि* की स्थली,
*लक्ष्मीबाई*, *वीर अवंतिका*,
की है ये *पावन* भूमि।।
*वीर भगतसिंह* और *सुखदेव* की,
बलिदान गाथायें गूंजती,
*शिवाजी* और *महाराणा* की,
*ललकार* भी है गूंजती।।
*तुलसी,राम,रहीम*,की भूमि,
*नानक,कबीर* की वाणी भी,
नेहरू, *गाँधी, विवेकानंद* की,
आवाज भी है *गूंजती*।।
*ईद* ,*होली* और *दीवाली*,
मनाते धूमधाम से,
*क्रिसमस* और *प्रकाश-पर्व* भी,
मनाते खूब शान से।।
*शून्य* का अविष्कार कर,
*मंगल ग्रह* तक पहुंच गये,
*विज्ञान* की प्रगति कर,
कितनों को पीछे छोड़ गये।।
पूर्व में *बंगाल की खाड़ी*,
तो पश्चिम में *अरब सागर* फैला,
उत्तर में है वृहत *हिमालय*,
दक्षिण में *हिन्द सागर* फैला।।
कितने वीरों का रक्त बहा,
कितनी मांओं की गोद उजड़ी,
कितनी मांगों का सिंदूर छिना,
तब ये आजादी हमें मिली।।
*पंद्रह अगस्त* को मिली आजादी,
*दिल्ली* है राजधानी बनी,
फहराया *तिरंगा प्यारा*,
हम सबकी है *शान* बढ़ी।।
*26 जनवरी 1950* को,
देश पूर्ण *गणतंत्र* बना,
और उसी दिन से ही फिर,
*संविधान* लागू हुआ।।
यहां राष्ट्रीय पुष्प *कमल* प्यारा,
है *बरगद* विशाल भी न्यारा,
जहाँ गान है देखो *जन-गण-मन*,
तो गीत *वन्दे-मातरम*।।
जहाँ *गंगा* बहती कल-कल कर,
*गजराज* हमारी राष्ट्रीय धरोहर,
जहां फल है मीठा *आम* भी,
तो खेल न्यारी *हाकी* भी।।
है राजभाषा *हिंदी* भी,
और मुद्रा चलती *रुपये* की,
मुझको इस पर तो *नाज* बहुत,
*मैं हूँ इसकी प्यारी बेटी"*।।
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*साधना छिरोल्या*
*दमोह(म.प्र.)*✍️✍️
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सच्ची आज़ादी
खुशी हुई, हो गए आज़ाद!!
चलो, करे इस आज़ादी का हिसाब
अपने ही धर्म की शालीनता कुचल
किया पाश्चात्य संस्कृति को आबाद
मसल मसल कर हर रिश्ते को
महकते चमन को कर दिया बरबाद ||
ज़रा तो सोचो__
आज़ाद भारत के लिए
कितनो ने तन पर सजाया कफन
कितनी किलकारियां हुईं अनाथ
कई बेवा हुई,जो थी सुहागन
उनकी कुर्बानियों को कर याद
सब भारत वासियों से है एक फरियाद
चलो एक नई जंग लड़े आज़ादी की
मिटा दे मिल कर हर जड़ बर्बादी की
"सोने की चिड़िया" गुमसुम जो बैठी है
शिकारी बने भक्षकों से वो रूठी है
जख्मी पंखों को उसके ज़रा सेहला दे
देशभक्ति का गीत सुना उसे चलो बेहला दे
भारत को अमन का चमन बना दे
महकते गगन में मदमस्त तिरंगा लेहरा दे
जय हिंद
आरती अग्रवाल
Arathi Agrawal
SPR Highliving City,
Tower B,
Flat No B2 1202,
Crooks Road,
Perambur
Chennai 600012
9600048188
Info@csarathiagrawal.com
********
उषा श्रीवास्तव
है अपना हिन्दुस्तान महान
तिरंगा है इसकी शान
इसमें है सबका अरमान
इसे हम ऊँचा रखेंगे
सदा हीं ऊँचा रखेंगे ।
तीन रंग में अद्भुत शक्ति
जिससे भारत है शक्ति मान
विश्व में अपनी है पहचान
इसे हम ऊँचा रखेंगे
सदा हीं ऊँचा रखेंगे।
हरा रंग हरियाली धरती
केसरिया बुद्धि बलशाली
है सफेद दर्पण शांति का
इसे हम ऊँचा,,,,,,,,,,,,,
सदा हीं ऊँचा ,,,,,,,,,,,,,,,
चक्र कहे चलते रहना है
कदम न रूकने पाये कभी
हम विश्व विजयी कहलाऐ
इसे हम ऊँचा,,,,,,,,,,,,,
सदा हीं ऊँचा ,,,,,,,,,,,,,,,,,
मुजफ्फरपुर,बिहार
गीतिका
है नहीं ये वतन दुश्मनों के लिए।
है नहीं ये ज़मी फासलों के लिए।
तुम रहो प्रेम से दिल मिला के रहो..
जन्म ये है नहीं आफतों के लिए।
कर रहे क्रोध क्यों लड़ रहे क्यों भला..
भूलकर देख सब कुछ क्षणों के लिए।
मुश्किलें तुम खड़ी कर रहे क्यों भला
ज़िंदगी ये नहीं उलझनों के लिए।
एक ही धर्म है प्यार का जान लो..
क्यों बँटे तुम यहाँ मज़हबों के लिए।
वर्तिका अग्रवाल
वाराणसी
उ.प्र.
घर घर तिरंगा
देश की आन बान शान
हर घर तिरंगा
राष्ट्र का स्वाभिमान
हर घर तिरंगा
देश प्रेम का अभियान
हर घर तिरंगा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
हर घर में गूंजे जयकारा
यूक्रेन में रक्षा का ढाल बना
हम भारतियों का स्वाभिमान बना
शहीदों का सम्मान बना
देश की आन बान शान बना
गगन में जब लहराता है
सर गर्व से तन जाता है
आजादी की 77वी जयंती
मना रहा है देश मेरा
हर घर ,घर- घर लहरा के तिरंगा
देश भक्ति में रंग गया देश मेरा
गांव गांव और शहर शहर
हर गली हर घर जहाँ देखे नजर
जन जन में बस एक ही नारा
झंडा ऊंचा रहे हमारा
*अंजनी त्रिपाठी गर्ग*
उत्तर प्रदेश