Sunita Jauhari : Welcome to my blog !! सुनीता जौहरी : सब पढ़े और पढ़ाएं सबका मनोबल बढ़ाएं

बचपन


बचपन
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गली से गुजरते बच्चों को हंसते -खेलते देखकर
अपना वो गुजरा बचपन का सुहाना जमाना 
याद आ गया,

हम भी चलाते थे कागज के जहाज पानी में 
कागज़ की वो कश़्ती बरसाती पानी पर चलाना
 याद आ गया,

 बेवजह हंसना-मुस्कुराना, रोकर घर सर पर उठाना
 एक छोटें से खिलौने के लिए जिद पर अड़ जाना
 याद आ गया,

 कांच की गोलियों से खेलना और इकट्ठा करना
 गिल्ली -डंडा से गिल्ली को दूर और दूर उछालना 
याद आ गया,

 मां से कभी तो कभी पापा से बेवजह जिद करना
 मां का मनाना और फिर बेवजह मेरा रूठ जाना
 याद आ गया,

 न खुशी की फिकर न था कोई जहा़न का  गम
 मां का मां शब्द बार-बार रटाना, उनका मुस्कुराना
 याद आ गया,

 गुड़ियों की शादी ,सहेलियों के संग समय बिताना
 रंग-बिरंगी तितलियों के पीछे-पीछे दौड़ लगाना
 याद आ गया,

 स्कूल की मस्ती , सहेलियों के टिफिन की चोरी
 फुस-फुसाकर क्लास में सखियों संग बतियाना
 याद आ गया,

स्कूल की छुट्टी पर घर को जाते चपरासी को सताना 
देर से घर आने पर मां का डांटना और गले लगाना 
याद आ गया,

 काश! लौट आए बचपन के वो सुनहरें सुहानें दिन
 राजा बनना और नन्ही सी प्यारी रानी ढूंढ लाना 
याद आ गया ।।
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© सुनीता जौहरी
 

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6 Comments

Ruchika rai said…
लाज़बाब
लाजवाब सृजन
लाजवाब सृजन
शानदार बचपन की यादें😊😊💐💐
Sunita Jauhari said…
जी धन्यवाद 🤗
Sunita Jauhari said…
जी, हां हम सबका प्यारा बचपन 🌹

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